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हाईकोर्ट ने प्रतीक्षारत लैब टेक्‍नीशियंस की नियुक्ति पर रोक हटायी

-कोविड-19 महामारी की परिस्थिति को ध्‍यान में रखकर दिया आदेश, अंतिम सुनवाई 13 जुलाई को

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने कोविड-19 महामारी को देखते हुए उत्‍तर प्रदेश सरकार को 729 प्रतीक्षारत लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति के लिए आदेश देने की प्रक्रिया पर लगी रोक को हटा दिया है। न्‍यायालय ने यह आदेश अपने पूर्व के 26.08.2019 के आदेश को संशोधित करते हुए दिया है। मामले की अंतिम सुनवाई 13 जुलाई को होगी। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह आदेश फि‍लहाल वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए इस केस पर अंतिम फैसले के अधीन है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि अब अंतिम सुनवाई तक इस विषय में कोई नयी याचिका नहीं दायर की जा सकती है। राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद ने इस फैसले का स्‍वागत किया है।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुरेश रावत, महामंत्री अतुल मिश्रा, उपाध्यक्ष सुनील यादव ने सरकार ,शासन एवं न्यायालय का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहां है कि वास्तव में यह जनहित में दिया गया आदेश है। इससे 729 लैब टेक्नीशियन के भविष्य पर लगा हुआ ताला खुल गया है। साथ ही वर्तमान समय में लैब टेक्नीशियन की अधिक आवश्यकता को देखते हुए सरकार को तत्काल नियुक्ति आदेश जारी करते हुए जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।

वर्ष 2016 में 921 लैब टेक्नीशियन के पदों पर उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा विज्ञापन निकाला गया था, जिसको आयोग ने 15 जून 19 को अंतिम परिणाम घोषित कर उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दिया था । आयोग द्वारा 198 चयनित अभ्यर्थियों को चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय और 729 चयनित लैब टेक्नीशियन को महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य को दिया था । महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा में 198 चयनित लैब टेक्नीशियनों को प्रदेश में अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में नियुक्तियां प्रदान कर दीं, लेकिन न्यायालय में वाद होने के कारण स्वास्थ्य भवन द्वारा 729 लैब टेक्नीशियन की तैनाती नहीं की गई।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश ने वैश्विक महामारी कोबिड 19 की जांच में लैब टेक्नीशियन की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य से 16 अप्रैल को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि इस मामले में न्यायालय में प्रभावी पैरवी की जाय, जिससे इन कार्मिकों की नियुक्ति तत्काल हो सके। परिषद के पत्र पर शासन द्वारा दिनांक 17 अप्रैल को एक पत्र लिखकर मुख्य स्थाई अधिवक्ता उच्च न्यायालय से प्रभावी पैरवी किए जाने का अनुरोध किया था । उक्त के क्रम में महत्वपूर्ण केस मानते हुए 13 मई को उच्च न्यायालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रिट संख्या 10 396 / 2019 की सुनवाई हुई जिसमें न्यायालय ने पाया कि महामारी के इस दौर में लैब टेक्नीशियन की महत्वपूर्ण भूमिका है इसलिए वर्तमान समय में इनकी नियुक्ति किया जाना आवश्यक है।

न्यायालय ने अंतिम आदेशों के अंतर्गत रखते हुए शासन को 729 पदों पर लैब टेक्नीशियन की नियुक्तियां करने को कहा है।