Wednesday , October 11 2023

बच्‍चे को वॉकर देकर उसके विकास का नहीं, चोट लगने का मार्ग प्रशस्‍त कर रहे हैं आप

निर्धारित मानकों के अनुसार वाकर तैयार न होने से अक्‍सर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं बच्‍चे

डॉ दीप्ति अग्रवाल

लखनऊ। अगर आप सोचते हैं कि वॉकर पर बच्‍चे को बैठाकर आप उसके विकास का मार्ग प्रशस्‍त कर रहे हैं तो यह गलत है, वॉकर से विकास का मार्ग नहीं बच्‍चे को चोट लगने का मार्ग जरूर प्रशस्‍त हो जाता है।

 

यह कहना है डॉ राम मनोहर लोहिया संस्‍थान की बाल रोग विभाग की विभागाध्‍यक्ष डॉ दीप्ति अग्रवाल का। डॉ दीप्ति अग्रवाल ने आज संस्‍थान में फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्‍सीकोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित सतत चिकित्‍सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम में बच्‍चों को लगने वाली आकस्मिक चोटों के बारे में अपना प्रेजेन्‍टेशन दिया। डॉ दीप्ति ने बताया कि वॉकर से बच्‍चे को किसी प्रकार का अतिरिक्‍त फायदा नहीं होता है। उन्‍होंने बताया कि उल्‍टा वाकर से बच्‍चों के गिरने के केस सामने आते हैं। इसकी वजह के बारे में उन्‍होंने बताया कि दरअसल वॉकर प्रॉपर तरीके से नहीं बनने के कारण बच्‍चे गिर जाते हैं, हेड इंजरी हो जाती है। उन्‍होंने बताया कि वॉकर तैयार करने में इसका बेस बनाने आदि के लिए मानक निर्धारित हैं, उन्‍हीं मानक के अनुरूप वॉकर न बने होने से बच्‍चे इससे चलना तो सीखते नहीं, उल्‍टा गिर कर चोट खा जाते हैं। उन्‍होंने बताया कि विदेशों में इसे बनाने के मानकों का तो बाकायदा पालन किया जाता है, जबकि अपने देश में ऐसा नहीं है।

 

डॉ दीप्ति ने बताया कि बच्‍चों के आकस्मिक चोटों के जो केस अस्‍पताल में आते हैं उनका मुख्‍य कारण गिरना या जलना होता है। उन्‍होंने कहा कि बच्‍चों की चोट के आने वाले मामलों में 60 प्रतिशत बच्‍चों की मौत हो जाती है। उन्‍होंने कहा कि ऐसी कई बातें हैं जिसकी वजह से घर के अंदर बच्‍चों को चोट लग जाती है। इसका एक बड़ा कारण चोट लगने से होने वाली बच्‍चों की मौत को रोकने के लिए कोई ऐसा कार्यक्रम नहीं बने हैं जैसे कि दूसरे रोगों जिनसे बच्‍चों की मौत होती है उसके लिए बने हैं।

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उन्‍होंने बताया कि उदाहरण के लिए अगर कार्यक्रम बना हो और यह तय हो कि बच्‍चों को चोट न लगे इसके लिए घर में क्‍या-क्‍या करना जरूरी है, इस तरह के केस कम हो जायेंगे। उन्‍होंने बताया कि घरों में अगर सिर्फ स्‍मोक अलार्म ही लगना अनिवार्य हो जाये तो 70 प्रतिशत बच्‍चों की मौत को बचाया जा सकता है। इसी प्रकार घर की सीढ़ियों पर रेलिंग न बना होना, छत पर रेलिंग न बना होना, रसोई अलग हटकर बनी होना जैसी बातें हैं जिन्‍हें ध्‍यान में रखना चाहिये।

 

उन्‍होंने बताया कि इसी प्रकार गर्म दूध, स्‍टोव, गैस, खुले बिजली के स्विच, आइरन जैसे बिजली के अन्‍य उपकरण जिनसे सीधा नुकसान होने का खतरा हो, को बच्‍चों को दूर रखने के उपाय करने आवश्‍यक हैं।