-विभिन्न चिकित्सा विशेषज्ञों ने आमजनों को किया जागरूक
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। कोरोना वायरस को लेकर शुरू हुए एक जन-जागरुकता अभियान के दौरान डॉक्टरों ने एक स्वर में कहा कि, इस जानलेवा वायरस से भयभीत हुए बगैर केवल इस बात पर ध्यान देना होगा कि हम अपने स्वास्थ्य को मजबूत बनाये रखने के प्रति सतर्क रहें और शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थों से दूरी बना कर रखें।
इंडिया इमोशंस वेलफेयर सोसायटी के तत्वावधान में महानगर कॉलोनी के सुभाष पार्क में हुई एक जनसभा को चिकित्सा क्षेत्र के विभिन्न विशेषज्ञों ने संबोधित कर कोरोना वायरस से जुड़ी भ्रांतियों से बचने के साथ-साथ समय रहते इस वायरस से सतर्क रहने की सलाह दी।
इस क्रम में वरिष्ठ होम्योपैथ चिकित्सक डॉ. अनुरुद्ध वर्मा ने बताया कि सर्दी-जुकाम से साधारण से दिखने वाले लक्षण भी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के संकेत बन सकते हैं, ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि, हम इन साधारण से दिखने वाले लक्षणों को नजरअंदाज किये बिना डॉक्टर के पास जाएं क्योंकि डॉक्टर को अगर किसी गंभीर बीमारी का अंदेशा होगा तो वह मरीज के ब्लड सहित अन्य प्रकार के सैंपल को परीक्षण के लिए भेजेंगे। रिपोर्ट अगर वक्त रहते आ जाये तो मरीज का बेहतर इलाज किया जा सकता है।
डॉ. वर्मा के मुताबिक कोरोना अथवा कोई भी वायरस हमारे इम्यूनिटी सिस्टम को कमजोर कर देता है ऐसे में अपने स्वास्थ्य को मजबूत बनाये रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिये। डॉ. वर्मा ने बताया कि, केन्द्रीय होम्योपैथिक परिषद की अनुशंसा पर आयुष मंत्रालय भारत सरकार ने कहा है कि कोरोना वायरस की रोकथाम के अन्य उपायों के साथ-साथ होम्योपैथी की औषधि आर्सेनिक एल्बम तीस शक्ति का तीन दिन तक सुबह देकर सुरक्षा के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
इस विषय पर अपनी बात रखते हुए फातिमा अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ एवं अस्पताल अधीक्षक डॉ. मृत्युजंय पांडेय ने आधुनिक कल्चर के खानपान को नजरअंदाज कर शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूत करने वाले देशी व घरेलू खानपान को अपनाने की सलाह लोगों को दी। इस क्रम में सत्तू का सेवन करने और योगा करने की आदत बनाने की सलाह भी उन्होंने दी। डॉ. मृत्युजंय के मुताबिक, हमारे पुराने संस्कार और रहन-सहन पाश्चात्य देशों के मुकाबले कहीं बेहतर हैं जिसे अपना कर हम बीमारियों से बच सकते हैं। उन्होंने इन दिनों लोगों से हाथ मिलाने और छींकते वक्त अपने हाथ को मुंह पर रखने के बजाय रुमाल इस्तेमाल करने की भी सलाह दी।
जन-जागरुकता अभियान के इस क्रम में चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. निशांत श्रीवास्तव ने कहा कि, खानपान का बदलता कल्चर असमान्य है जैसे अब जाड़े के दिनों में आइसक्रीम खाने का क्रेज बढऩा, स्कूल में छोटे-छोटे बच्चों के बीच पिज्जा-बर्गर पार्टी होना वगैरह-वगैरह। इसके स्थान पर हम पौष्टिक आहारों को नजरअंदाज करते जा रहे हैं। हम पाश्चात्य संस्कृति के अनुसरण में अपने स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं जिसके प्रति गंभीरता से सभी को सोचना होगा। कार्यक्रम के अंत में क्षेत्र के पूर्व सभासद जीडी शुक्ला ने सभी चिकित्सा विशेषज्ञों और उपस्थित जनसमूह को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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