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नशे से ग्रस्‍त व्‍यक्ति के साथ कैसा व्‍यवहार करें चिकित्‍सक, कब करें रेफर

-आईएमए में आयोजित स्टेट लेवल रिफ्रेशर कोर्स एवं सीएमई में दी गयी महत्‍वपूर्ण जानकारी

डॉ प्रांजल अग्रवाल

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। नशे के आदी मरीज के साथ चिकित्‍सक कैसे व्‍यवहार करें, उसे कौन सी दवा दे सकते हैं तथा किस स्‍टेज में उसे मनोचिकित्‍सालय के लिए रेफर करें, इसके बारे में सब्‍स्‍टेंस यूज डिस्‍ऑर्डर क्‍लीनिकल फीचर्स एंड मैनेजमेंट विषय पर बोलते हुए कंसल्‍टेंट डॉ प्रांजल अग्रवाल ने जानकारी दी।

रविवार को इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन की लखनऊ शाखा द्वारा यहां आईएमए भवन में आयोजित स्टेट लेवल रिफ्रेशर कोर्स एवं एक वृहद सतत चिकित्‍सा शिक्षा (सीएमई) में डॉ प्रांजल ने बताया कि नशा जो सबसे कॉमन पाया जाता है वह तम्‍बाकू का है, चाहे वह बीड़ी हो, सिगरेट हो, हुक्‍का हो, चबाने वाली तम्‍बाकू हो, खैनी, जर्दा, शराब, बीयर, गांजा, हशीश, चरस, हेरोइन, ब्राउन शुगर, कुछ प्रकार की दर्द की दवाएं, नींद की कुछ दवाओं का नशा करते हैं।

डॉ प्रांजल ने बताया कि किसी भी व्‍यक्ति को हम तभी नशे का आदी तभी मानते हैं जब इन छह लक्षणों में से तीन या ज्‍यादा लक्षण एक साल से व्‍यक्ति के अंदर पाये जा रहे हैं। लक्षणों के बारे में उन्‍होंने बताया कि पहला है क्रेविंग यानी किसी भी नशे को लेने की तीव्र इच्‍छा हो, दूसरा है इम्‍पेयर्ड कंट्रोल्‍ड यानी वह अपने आपको उस नशे को लेने से कंट्रोल नहीं कर पा रहा है, तीसरा है टॉलरेंस यानी वह कितनी मात्रा में नशे का सेवन कर रहा है पहले कितनी मात्रा में लेता था और अब कितनी मात्रा में लेता है मात्रा बढ़ती जा रही है।

इसी प्रकार एक लक्षण है विदड्राअल सिम्‍पटम यानी अगर वह व्‍यक्ति एकाएक उस नशे की चीज का सेवन करना छोड़ देता है तो परेशानी होती हैं। छोड़ने से होने वाली परेशानी जैसे हाथ कांपना, पसीना आना, शरीर में दर्द, नींद न आना हो रहा हो। एक अन्‍य लक्षण है सेलियंस जैसे व्‍यक्ति ज्‍यादा से ज्‍यादा समय नशे की उपलब्‍धता कैसे हो, इसी  बारे में सोचे और छठा और अंतिम लक्षण है कंटीन्‍यूअस यूज यानी  जानते हुए भी कि नशे का सेवन करने से यह दिक्‍कत हो सकती है लेकिन फि‍र भी लगातार नशा करना जारी रखना है।  

उन्‍होंने बताया कि नशे से शरीर के हर ऑर्गन पर प्रभाव पड़ता है, विटामिन की कमी होती है, खून की कमी, लिवर की बीमारियां,  न्‍यूरोपैथी, मेटोबोलिक डिजीज, कैंसर, विभिन्‍न प्रकार की मानसिक बीमारियां होती हैं।  

उन्‍होंने बताया कि चिकित्‍सकों के लिए चार सूत्री फॉर्मूला बताया गया है  आस्‍क, एसेस, असिस्‍ट और रेफर। आस्‍क यानी मरीज से कैसे डिस्‍कस करें, सलाह दी गयी है कि मरीज से सारी बातें खुलकर पूछिये, एसेस यानी मरीज की हिस्‍ट्री कैसे ली जाये, कौन सी जांचें करायी जायें, असिस्‍ट यानी मरीज को कैसे समझायें, उसे क्रिटिसाइज न करें बल्कि उससे कहें कि हां मैं जानता हूं कि नशा छोड़ना आसान नहीं है लेकिन अगर कोशिश करते हैं तो असंभव भी नहीं है। यह भी देखना होता है कि एक बार मरीज की नशे की आदत छूटने के बाद दोबारा न हो, इसके लिए समझायें कि यदि नशे के लिए उसे फोर्स करने वाले लोगों को किस प्रकार मना करें। किस प्रकार अपने गुस्‍से पर काबू पायें। इसके अतिरिक्‍त मरीजों को कौन सी दवाएं दी जा सकती हैं, इस बारे में भी जानकारी दी गयी। इसके साथ ही यह भी बताया कि किस स्‍टेज पर मरीज को मनोचिकित्‍सा केंद्र रेफर किया जाना चाहिये। 

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