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ILD के 50 से 60 प्रतिशत मरीजों की डायग्नोसिस पहले गलत हो जाती है

140 बीमारियों वाले समूह की बीमारी ILD की डायग्नोसिस सीटी स्कैन से ही संभव

लखनऊ. Interstitial Lung Disease कोई एक बीमारी नहीं बल्कि 140 बीमारियों का समूह है. इन बीमारियों में ज्यादातर ऐसी बीमारियाँ हैं जो ठीक हो जाती हैं लेकिन एक बीमारी है इडीओपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस, यह ठीक नहीं हो पाती है, इसका मरीज 4 से 5 साल जिंदा रहता है। चिकित्सकों तथा उन के माध्यम से आम लोगों में इस बीमारी के बारे में जागरूकता के उद्देश्य से इसी विषय पर 19 मई को एक सतत चिकित्सा शिक्षा CME का आयोजन किया गया है।

यह जानकारी देते हुए एरा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के तत्वावधान में चेस्ट केयर एंड रिसर्च सोसाइटी द्वारा आयोजित की जा रही इस सीएमई के आयोजन चेयरमैन डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि इस सीएमई में अभी तक करीब पौने दो सौ चिकित्सकों ने भाग लेने पर सहमति दी है.

 

बीमारी के बारे में डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि उनके पास पहला मरीज आईएलडी का 1990 में आया था। पहले दो-चार साल में एक आईएलडी का मरीज पाया जाता था परंतु अब रोज ही आईएलडी से ग्रस्त 4-5 मरीज आ रहे हैं। उन्होंने बताया एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि इस बीमारी के 50 से 60 प्रतिशत मरीजों की डायग्नोसिस पहले गलत हो जाती है क्योंकि इसके लक्षण खांसी और सांस फूलना होते हैं ऐसे में कई डॉक्टर TB या कोई अन्य बीमारी समझकर इलाज करते रहते हैं। उन्होंने बताया दरअसल इस बीमारी की पहचान में सीटी स्कैन का अहम रोल है , या यूं कहें कि इसे सीटी स्कैन से ही पकड़ा जा सकता है। ऐसे में आवश्यक है कि इसके प्रति डॉक्टरों में भी जागरूकता फैले। इसी जागरूकता की खातिर इस एक दिवसीय सीएमई का आयोजन किया गया है।

 

यह पूछने पर कि इस तरह की जागरूकता सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों को भी देना आवश्यक है तो क्या आपकी सोसायटी की ओर से सरकार को जागरूकता फैलाने के लिए कोई सलाह दी गई इस पर पत्रकार वार्ता में मौजूद डॉक्टर टी पी सिंह ने कहा कि इसके संबंध में सरकार को सुझाव के लिए पत्र भेजा जाएगा।

 

डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बताया इस रोग में एक डॉक्टर नहीं बल्कि पूरी टीम द्वारा इलाज किया जाना चाहिए, इनमें एक फिजीशियन, एक चेस्ट स्पेशलिस्ट, एक रेडियोलॉजिस्ट तथा एक पैथोलॉजिस्ट की टीम बनाकर इलाज करना चाहिए IPF बीमारी के बारे में डॉक्टर सिंह ने बताया कि फेफड़े में से सांस नली के लिए जो एयर स्पेस होती है, वहां एक स्कार बन बन जाता है यही स्थिति ईडियो पैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस कहलाती है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी संक्रामक नहीं होती है।

 

डॉक्टर प्रसाद ने बताया इस कार्यक्रम में PGI चंडीगढ़ के प्रोफेसर डी बहेड़ा आ रहे हैं तथा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केजीएमयू के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट होंगे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता एरा मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफ़ेसर अब्बास अली मेहंदी करेंगे। इनके अलावा प्रोफेसर फरजाना मेहंदी, प्रोफेसर फरीदी, यूपी TB एसोसिएशन के चेयरमैन आरसी त्रिपाठी भी उपस्थित रहेंगे।

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