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प्राकृतिक चिकित्सा व योग पद्धति को लेकर अधिनियम बनाये जाने पर आयुष मंत्री सहमत

-इंटरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गेनाइजेशन के प्रतिनिधिमंडल को डॉ दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने दिया आश्वासन

सेहत टाइम्स

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक चिकित्सा व योग का अधिनियम बनाये जाने के संदर्भ में आयुष मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, से इंटरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गेनाइजेशन (आई.एन.ओ.) के प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात की। इस संदर्भ में इंटरनेशनल नेचुरोपैथी ऑर्गेनाइजेशन के प्रतिनिधिमंडल ने कुछ सुझाव दिये। आयुष मंत्री ने अधिनियम बनाये जाने पर सहमति जताते हुए आश्वासन दिया कि यह कार्य जल्दी ही किया जायेगा।

यह जानकारी देते हुए इंटरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गेनाइजेशन उत्तर प्रदेश के राज्य समन्वयक डॉ नंदलाल ‘जिज्ञासु’ ने बताया कि​ प्रतिनिधि मंडल ने आयुष मंत्री को मांग पत्र सौंपते हुए बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा मूलतः भारत की सबसे प्राचीन एवं सरकार द्वारा मान्य चिकित्सा पद्धति है, जिसका वर्णन अथर्ववेद में भी मिलता है। इस पद्धति का अधिनियम बन जाने से प्राकृतिक चिकित्सा में अध्ययन, अध्यापन, चिकित्सा, प्रशिक्षण एवं शोध में गति लाई जा सकती है, तथा इस पद्धति के अधिनियम बन जाने एवं समग्र विकास से राज्य का मेडिकल बजट भी कम किया जा सकता है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को मान्यता मिले हुए लगभग 45 वर्ष बीत गए अधिनियम न बनने के कारण प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में अपेक्षित कार्य नहीं हो सका है।

आईएनओ के प्रतिनिधिमंडल ने आयुष मंत्री से मांग रखी कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के आयुष विभाग के पत्र संख्या- आर/15016/5/2004/वाई एण्ड एन दिनांक 4 सितंबर 2006 की दिशा निर्देश के अनुसार डिग्री धारकों के साथ, डिप्लोमा धारकों एवं गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत शिक्षित तथा दशकों से प्रैक्टिस कर रहे अनुभवी वरिष्ठ योग एवं प्राकृतिक चिकित्सकों का पंजीयन किया जाए जैसा कि पूर्व में आयुर्वेदिक, यूनानी व होम्योपैथिक चिकित्सकों को पंजीयन दिया गया था।

दूसरी मांग में कहा गया कि पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा एवं अन्य राज्यों के तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग का अधिनियम बनाया जाए तथा प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग का आयोग गठित किया जाए।

तीसरी मांग में राष्ट्रीय आयुष मिशन के अंतर्गत प्राकृतिक चिकित्सालय एवं योग केंद्र खोले जाएं, प्राकृतिक चिकित्साधिकारी एवं योग विशेषज्ञों का चयन किया जाए एवं इस विधा के प्रचार प्रसार हेतु योजनाएं चलाई जाएं।
चौथी मांग में कहा गया है कि प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग चिकित्सकों की इंटर्नशिप के लिए उत्तर प्रदेश के समस्त सरकारी चिकित्सालयों में शासनादेश जारी किया जाए।

पांचवीं मांग में कहा गया है कि 50 से 100 बेड के समस्त एलोपैथिक एवं आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अधिकारी तथा योग विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाए। छठी मांग है कि प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग को पर्यटन से जोड़ा जाए तथा सातवीं मांग की गयी है कि आयुष मंत्रालय एवं आयुष मिशन में प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग सलाहकार नियुक्त किया जाए।

डॉ जिज्ञासु ने बताया कि आयुष मंत्री से बहुत ही सौहार्द्रपूर्वक वार्ता हुई, उन्होंने स्वयं भी कहा कि पद्धति को मान्यता मिले इतना समय बीत जाने के बाद अब तक अधिनियम बन जाना चाहिये था, उन्होंने कहा कि आप लोग बेफिक्र रहें, अधिनियम बनने के विषय में जल्द ही प्रक्रिया सम्पन्न की जायेगी।

मिलने गये प्रतिनिधिमंडल में आई.एन.ओ. सलाहकार एवं वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. ओमप्रकाश जी आनंद, पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र कुमार मिश्रा, राज्य कन्वीनर डॉ. नन्दलाल जिज्ञासु, सलाहकार डॉ. अरुण कुमार भरारी, प्रदेश अध्यक्ष डॉ. एस.एल.यादव, उपाध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार यादव, प्रदेश महासचिव डॉ. एल.के. रॉय, योग गुरु कृष्ण दत्त मिश्र, डॉ. संजय यादव एवं डॉ. राकेश प्रताप सिंह की उपस्थिति रही।

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