Wednesday , February 28 2024

सौंदर्य के साथ ही खोया हुआ आत्मविश्वास वापस ला रही कृत्रिम आंख

-ऑर्बिटल प्रोस्थेसिस पर केजीएमयू में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला 29 फरवरी से 2 मार्च तक

सेहत टाइम्स

लखनऊ। रेटिनोब्लास्टोमा जैसे कैंसर और अन्य घातक बीमारियों के कारण अक्सर आंख और अन्य संरचनाओं को शल्य चिकित्सा द्वारा हटा दिया जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति आंख को को तो खोता ही है, साथ ही अपने सौंदर्य में ह्रास के बारे में सोचकर उसके आत्मविश्वास में भी कमी आने लगती है, ऐसी स्थिति से मरीज को उबारने में ऑर्बिटल प्रोस्थेसिस (कृत्रिम आंख) एक ऐसी उपचार पद्धति है जो दोषपूर्ण संरचनाओं को प्रतिस्थापित करके ऐसे रोगियों के जीवन में सुधार करती है। यह उपचार रोगियों के लिए एक वरदान है क्योंकि यह उनके सौंदर्य के साथ आत्मविश्वास को बढ़ाता है।

इसी विषय पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के प्रोस्थोडॉन्टिक्स एंड क्राउन एंड ब्रिजेस विभाग द्वारा मैक्सिलोफेशियल प्रोस्थोडॉन्टिक्स पर एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यशाला महिदोल विश्वविद्यालय, बैंकॉक, थाईलैंड के सहयोग से 29 फरवरी से 2 मार्च, 2024 तक आयोजित की जा रही है।

आयोजन अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. पूरन चंद और आयोजन सचिव: प्रो.डॉ. सुनीत कुमार जुरेल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मैक्सिलोफेशियल प्रोस्थोडॉन्टिक्स के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध संकाय ऑर्बिटल प्रोस्थेसिस के निर्माण पर कार्यशाला के रूप में व्याख्यान देने के लिए बैंकॉक, थाईलैंड से आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में अपने देश भारत के अलावा पड़ोसी देशों के चिकित्सा छात्रों, चिकित्सा शिक्षक, सेना में तैनात डेंटल सर्जन और निजी चिकित्सकों सहित 100 से अधिक प्रतिभागी होंगे।

डॉ. पूरन चंद ने बताया कि कार्यशाला का उद्घाटन कल 29 फरवरी को संस्थान में सी. पी. गोविला हॉल, तृतीय तल ,न्यू डेंटल बिल्डिंग, एफओडीएस में होगा। इसकी मुख्य अतिथि कुलपति प्रोफेसर डॉ. सोनिया नित्यानंद होंगी। उन्होंने कहा कि
यह कार्यशाला प्रतिभागियों को कृत्रिम अंग के निर्माण में मूल बातें और नई तकनीकी को सीखने में सक्षम बनाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.