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एंटीबॉडी जांच बताती है कि कोविड से लड़ने को कितने तैयार हैं हम

-डॉ पीके गुप्‍ता ने एंटीबॉडी जांच की विस्‍तार से जानकारी का वीडियो किया जारी

                          डॉ पीके गुप्ता

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। कोविड संक्रमण के बाद अथवा कोविड वैक्‍सीनेशन के बाद शरीर में वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी, जो एक प्रकार का प्रोटीन माइक्रो ग्‍लोब्‍यूलिन पार्टिकल होता है, यह शरीर में कितना बना है, बना है या नहीं बना है इसके लिए एक छोटा सा टेस्‍ट पैथोलॉजी में किया जाता है, इसके लिए व्‍यक्ति के रक्‍त का सैम्‍पल लिया जाता है। इसी टेस्‍ट की जानकारी आईएमए के पूर्व अध्‍यक्ष व प्रैक्टिशनर्स, वरिष्‍ठ पैथोलॉजिस्‍ट डॉ पीके गुप्‍ता ने वीडियो के माध्‍यम से दी है।

डॉ गुप्‍ता बताते हैं कि ऐसा संभव है कि कुछ लोगों में लो इम्युनिटी के कारण यह एंटीबाडी न बने लेकिन ज्‍यादातर केसेज में यह कोविड एंटीबाडी बनती है साथ ही इस टेस्ट से एन्टी बॉडी की मात्रा का भी पता चल जाता है। उन्‍होंने कहा कि यह IgG एंटीबाडी टेस्ट डायग्नोस्टिक टेस्ट नहीं है यानी यह टेस्ट कोविड संक्रमण की पहचान के लिए नहीं कराया जाता है बल्कि संक्रमण या vaccination के बाद ब्लड मे मौजूद immunoglobulin का पता लगाने के लिये कराया जाता है जिसे serological surviellance या sero-survey कहते हैं।

क्या होते हैं कोविड एंटीबाडी

कोविड एंटीबाडी ब्लड मे मौजूद एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो कोविड संक्रमण या वैक्सीनेशन के बाद उत्पन्न एक इम्युनिटी मार्कर है जिसे immunoglobulin कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है एक IgM antibody दूसरा IgG antibody। इसमें igM एंटीबाडी संक्रमण अथवा एक्सपोज़र के तुरंत बाद ब्लड में उत्पन्न हो जाता है तथा 7 से 14 दिन बाद गायब भी हो जाता है, यह शरीर को तुरंत सुरक्षा प्रदान करता है। इसी प्रकार IgG एंटीबाडी संक्रमण होने के लगभग 14 दिन बाद उत्पन्न होता है तथा लंबे समय तक रह कर शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र यानी immunity को मजबूत करता है। यह शरीर में कितने समय तक रहता है इसका अध्ययन हो रहा है फिर भी अभी तक के ऑब्जरवेशन के मुताबिक यह 3 महीने से अधिक समय तक पाया जा रहा है।

डॉ गुप्‍ता का कहना है कि सामान्य रूप से व्‍यवसायिक रूप से उपलब्‍ध  किट से ब्लड में Anti spike SARS covid 2 IgG antibody टेस्ट के नाम से जांच हो रही है। यह एंटीबाडी कोरोना वायरस के सरफेस पर मौजूद स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ बनती है और यह लम्‍बे समय तक इम्युनिटी प्रदान कर सकती है। यहां यह बताते चलें कि टेस्ट के नाम में प्रयुक्त SARS का फुल फॉर्म severe acute respiratory syndrome होता है जिसका संबंध फेफड़े से होता है।

जांच के लिए ब्लड का नमूना

इस जांच के लिए ब्लड का नमूना कभी भी दिया जा सकता है इसके लिए खाली पेट नमूना देने की बाध्यता नहीं होती है। इसके लिये 3 से 5 मिलीलीटर ब्लड रेड कैप plain tube में लिया जाता है तथा रिपोर्ट उसी दिन मिल सकती है।

क्‍या है कट ऑफ वैल्‍यू

एंटी कोविड IgG एंटीबाडी की cut off वैल्यू टेस्ट की विधि तथा लैब के अनुसार थोड़ा फर्क हो सकती है। सामान्यतः यह जांच एंजाइम लिंक्ड फ्लोरेसेंस मेथड तथा Chemiluminisence immunoassay प्रणाली से किया जाता है।

Enzyme linked fluorencent assay प्रणाली के किये जाने वाले anti spike I g G Antibody टेस्ट का cut off value 20.33 BAU  (binding antibody units) per ml होता है, इसका मतलब है कि टेस्ट वैल्यू यदि इससे कम है तो रिजल्ट इंटरप्रिटेशन में covid antibody टेस्ट नेगेटिव मानते हैं तथा वैल्यू 20.33 BAU per ml से अधिक आने पर positive मानते हैं, इसका मतलब है कि व्यक्ति के शरीर मे कोविड एक्सपोज़र अथवा vaccination के बाद इम्युनिटी develop हो गयी है जो व्यक्ति को आगे वायरस से सुरक्षा प्रदान कर सकती है।

इस टेस्ट के उपयोग से व्यक्ति अपने अंदर कोरोना वायरस के खिलाफ बनने वाले IgG एंटीबाडी के status का पता कर सकता है। सरकार इस टेस्ट के उपयोग से herd immunuty का पता कर रही है जिसे sero survey कहते हैं। यहाँ यह जानना जरूरी है कि एन्टी कोविड IgG एंटीबाडी बनने के बाद भी संक्रमण की आशंका रहती है भले ही इसकी तीव्रता कम होती है। इसलिए कोविड महामारी के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पालन जरूरी है।

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