आप सरकार को फटकार, अगली सुनवाई 17 दिसम्बर को प्रमुख सचिव को स्वयं पेश होने के आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली की आप सरकार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में अयोग्य टेक्नीशियनों द्वारा चलायी जा रहीं पैथोलॉजी पर कड़ी फटकार लगायी है। अदालत ने एक जनहित याचिका पर आप सरकार को नोटिस जारी कर इस पर जवाब मांगा है। अदालत ने कहा है कि अगली सुनवाई 17 दिसम्बर को प्रमुख सचिव स्वयं अदालत में उपस्थित होकर बतायें कि ऐसी अवैध रूप से चल रहीं प्रयोगशालाओं के खिलाफ क्या काररवाई की गयी।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की खंडपीठ ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया था कि पैथोलॉजी में स्नातकोत्तर डिग्री धारक ही मेडिकल टेस्ट रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, तो इसे अब तक लागू किया जाना चाहिए था। अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार ने अब तक ऐसी पैथोलॉजी का पता लगाने के बजाय सिर्फ अपने मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारियों को ऐसी पैथोलाजी को चिन्हित करने के लिए सिर्फ पत्र जारी करने का काम किया है।
अदालत में स्वास्थ्य विभाग की ओर से पेश हुए एडीशनल स्टैंडिेंग काउंसिल संजय घोष ने कोर्ट को बताया कि कुछ पैथोलॉजी को छह माह के अंदर मान्यता प्राप्त करने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि प्रयोगशालाओं और क्लीनिकों को विनियमित करने के लिए क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट को अंतिम रूप देने के अंतिम चरण में था और वर्तमान में कानून विभाग में है।
हालांकि, खंडपीठ इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुई और कहा, “एक पत्र जारी किए जाने के अलावा, कुछ भी नहीं हुआ है। हम संतुष्ट नहीं हैं। एक बार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद क्या किया जाना चाहिए, आपको इसे लागू करना चाहिए। “” अपने कार्यालय में बैठकर और पत्र जारी करने से मदद नहीं मिलेगी। अदालत ने पूछा कि पत्र और नोटिस जारी किए जाने के बाद कितने छापे या निरीक्षण किए गये। खंडपीठ ने कहा कि अगली तारीख 17 दिसम्बर को प्रधान सचिव स्वयं अदालत में उपस्थित हों ताकि वह खंडपीठ के सवालों का जवाब दे सकें।
याचिकाकर्ताओं में एक बीके मिश्र के वकील शशांक देव सुधि ने बीके मिश्र की ओर से अदालत से मांग की मरीजों के हितों को देखते हुए इस पर जल्द से जल्द कार्य किये जाने की जरूरत है। उन्होंने तर्क दिया कि अयोग्य प्रयोगशाला तकनीशियन न केवल विभिन्न परीक्षण कर रहे हैं, बल्कि अवैज्ञानिक और अयोग्य परिणामों के आधार पर सम्मेलनों के साथ आ रहे थे, जो लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को कमजोर कर रहे हैं।
मिश्रा ने अपनी याचिका में कहा है, “ऐसी गैरकानूनी प्रयोगशालाएं दिल्ली-एनसीटी के आसपास और आसपास मशरूम की तरह उगी हुई हैं। उन्होंने कहा है कि ऐसी अवैध रोगजनक और नैदानिक प्रयोगशालाओं की कुल संख्या 20,000 से 25,000 के बीच भी हो सकती है।