बिहार हाईकोर्ट का आदेश, एमसीआई के तय मानकों के अनुसार ही संचालित होंगी पैथोलॉजी

लखनऊ। बिहार में पटना हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को स्पष्ट आदेश दिये हैं कि बिहार में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानकों के विपरीत चल रहीं सभी पैथोलॉजी अवैध हैं, इन्हें बंद कराना सुनिश्चित करें। जांच रिपोर्ट पर एमबीबीएस डॉक्टर भी दस्तखत नहीं कर सकता, तय मानकों के अनुसार इस पर दस्तखत करने का अधिकार रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिश्नर एमसीआर्इ के मानकों के अनुसार पैथोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री रखने वाले को ही है।
पटना हाई कोर्ट नें यह आदेश बीती 30 अगस्त को दिया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि गुजरात सरकार के आदेश के बाद मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा तय किये गये मानकों को सुप्रीम कोर्ट ने भी दिसम्बर 2017 में दिये अपने आदेश में सही माना था।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब कोई भी टेक्नीशियन अपने बूते पैथोलॉजी लैब का संचालन नहीं कर सकता और न ही रिपोर्ट दे सकता है। टेक्नीशियन लैब का संचालन तभी कर सकता है जब लैब में जांच और रिपोर्ट पर दस्तखत करने के लिए किसी पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री वाले पैथोलॉजिस्ट को सम्बद्ध कर रखा हो।
आपको बता दें कि बिहार में पहले दी गयी सूची के अलावा औरंगाबाद में 109, सारन(छपरा) में 92, मुंगेर में 19, समस्तीपुर में 54, बांका में 27, खगड़िया में 7, जहानाबाद में 14, मधेपुरा में 27, बेतिया में 79 और शेखपुर में 13 पैथोलॉजी अवैध रूप से संचालित हो रही हैं।
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