Sunday , November 23 2025

केजीएमयू ने रचा इतिहास, तीन फैकल्टी को प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय मंच का आमंत्रण

-वॉशिंगटन डी.सी. में 7 से 11 नवम्बर तक आयोजित हुई AASLD की प्रतिष्ठित वार्षिक वैज्ञानिक बैठक ‘द लिवर मीटिंग®️ 2025’

सेहत टाइम्स

लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) ने एक और इतिहास रच दिया है। विश्वविद्यालय के हेपेटोबिलियरी डिवीजन, मेडिसिन विभाग और पीडियाट्रिक्स विभाग के तीन वरिष्ठ संकाय सदस्यों ने अमेरिका के वॉशिंगटन डी.सी. में 7 से 11 नवम्बर तक आयोजित अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ लिवर डिज़ीज़ (AASLD) की प्रतिष्ठित वार्षिक वैज्ञानिक बैठक ‘द लिवर मीटिंग®️ 2025’ में केजीएमयू का प्रतिनिधित्व किया।

यह जानकारी देते हुए केजीएमयू के मीडिया प्रवक्ता डॉ केके सिंह ने बताया कि केजीएमयू के इतिहास में यह पहला अवसर था जब विश्वविद्यालय के शिक्षक इस विश्व-स्तरीय वैज्ञानिक मंच पर अपने शोध कार्य प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किए गए। यह उपलब्धि न केवल विश्वविद्यालय के लिए बल्कि भारत में लिवर रोग अनुसंधान के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

केजीएमयू प्रतिनिधिमंडल में डॉ. अजय कुमार पटवा, प्रोफेसर, हेपेटोबिलियरी डिवीजन, मेडिसिन विभाग, डॉ. सुधीर कुमार वर्मा, अतिरिक्त प्रोफेसर, हेपेटोबिलियरी डिवीजन, मेडिसिन विभाग तथा डॉ. संजीव कुमार वर्मा, अतिरिक्त प्रोफेसर, पीडियाट्रिक हेपेटोलॉजी डिवीजन, पीडियाट्रिक्स विभाग शामिल रहे। इन विशेषज्ञों ने विश्वभर से आए हेपेटोलॉजिस्ट, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, ट्रांसप्लांट विशेषज्ञों और बाल-यकृत रोग विशेषज्ञों की उपस्थिति के बीच शोध प्रस्तुत किए, जो वैश्विक वैज्ञानिक विमर्श में महत्वपूर्ण योगदान साबित हुए।

सम्मेलन में​ जिन शोध पत्रों को प्रस्तुत किया गया उनमें ⁠डॉ. अजय कुमार पटवा ने “इन्फेक्शन वाले और बिना इन्फेक्शन वाले एसीएलएफ मरीजों में लिवर ट्रांसप्लांट और थेरेप्यूटिक प्लाज़्मा एक्सचेंज के प्रभाव : एएआरसी डेटाबेस पर आधारित प्रोपेन्सिटी स्कोर-मैच्ड अध्ययन”, ⁠डॉ. सुधीर कुमार वर्मा ने 1.एक्यूट ऑन क्रोनिक लिवर फेलियर वाले मरीज़ों के लिवर और स्प्लीन (तिल्ली) की कठोरता में होने वाले तीव्र परिवर्तन का रोगनिदान के लिए महत्व” व 2.हेपेटिक ऑस्टियोडिस्ट्रॉफी के मरीजों में ओरल आइबेंड्रोनेट की प्रभावशीलता और सुरक्षा” विषय पर तथा ⁠डॉ. संजीव कुमार वर्मा का “स्प्लीनिक स्टिफ़नेस और आकार द्वारा नॉन-सिरोटिक पोर्टल फ़ाइब्रोसिस और एक्स्ट्रा-हेपेटिक पोर्टल वेन ऑब्स्ट्रक्शन का बाल्यावस्था में विभेदीकरण: प्रॉस्पेक्टिव ऑब्ज़र्वेशनल अध्ययन” विषय पर शोध शामिल रहे।

डॉ केके सिंह ने कहा कि यह उपलब्धि केजीएमयू की उन्नत लिवर डिज़ीज़ रिसर्च, क्लिनिकल नवाचार, और अकादमिक उत्कृष्टता में बढ़ती नेतृत्व क्षमता को दर्शाती है। इससे भारत की वैश्विक हेपेटोलॉजी में सहभागिता और सशक्त होगी तथा केजीएमयू को हेपेटोबिलियरी विज्ञान के उभरते उत्कृष्ट केंद्र के रूप में स्थापित करेगी। इसके साथ ही यह उपलब्धि युवा शोधकर्ताओं को प्रेरित करेगी, अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं संयुक्त अनुसंधान के अवसर बढ़ाएगी,
प्रशिक्षण, फेलोशिप और वैश्विक साझेदारी को प्रोत्साहित करेगी तथा विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को और मजबूत करेगी।

डॉ सिंह ने बताया कि इस उपलब्धि पर कुलपति पद्मश्री प्रो सोनिया नित्यानंद ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि “यह विश्वविद्यालय के लिए अत्यंत गर्व का क्षण है। एएएसएलडी 2025 में केजीएमयू का प्रतिनिधित्व हमारे अकादमिक वातावरण की मजबूती और हमारे शोध कार्यों के वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है।”

जबकि डीन, फैकल्टी ऑफ मेडिसिन (डॉ. वीरेन्द्र आतम) ने कहा कि यह उपलब्धि हमारे युवा संकाय और रेज़िडेंट डॉक्टरों को विश्व-स्तरीय शोध और प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग की ओर प्रेरित करेगी। इसके अतिरिक्त प्रतिनिधिमंडल प्रमुख डॉ. अजय कुमार पटवा ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि एएएसएलडी—जो वैश्विक स्तर पर हेपेटोलॉजी का सबसे बड़ा मंच है—पर अपना कार्य प्रस्तुत करना हमारे लिए सम्मान और जिम्मेदारी दोनों रहा। हम केजीएमयू के शोध कार्यों को अंतरराष्ट्रीय ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.