-संजय गांधी पीजीआई की शुरुआत करने वालों में से एक थे डॉ छाबड़ा
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। मरीजों के सिर से छोटे-बड़े ट्यूमर निकाल कर उन्हें नयी जिन्दगी देने वाले अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लखनऊ के न्यूरो सर्जन डॉ डीके छाबड़ा खुद ट्यूमर के शिकार हो गये, जिसके चलते आज उनका निधन हो गया। डॉ छाबड़ा यहां संजय गांधी पीजीआईै के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में भर्ती थे।
डॉ छाबड़ा ने लखनऊ में तत्कालीन किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, केजीएमसी (अब केजीएमयू) से एमबीबीएस और एम एस की पढ़ाई की थी तथा 1974 से 1986 तक केजीएमसी में ही काम किया। इसके बाद संजय गांधी पीजीआई की शुरुआत करने वाले चिकित्सकों में उनका नाम जुड़ गया। डॉ छाबड़ा के साथ डॉ एसएस अग्रवाल और डॉ बी बी सेठी ने ही संजय गांधी पीजीआई की नींव रखी थी।
डॉ छाबड़ा ने वर्ष 2003 तक संजय गांधी पीजीआई न्यूरो सर्जरी के विभागाध्यक्ष पद पर सेवा की तथा वहां से रिटायर होने के बाद वे निराला नगर स्थित स्वामी विवेकानंद पॉलीक्लिनिक से जुड़ गए और यहां अपनी सेवाएं देने लगे।
आपको बता दें दिमाग में भरे दर्द को द्रव्य को स्पाइन के जरिए निकालने के लिए नई तकनीक का इजाज डॉ डीके छाबड़ा ने ही किया था, इस तकनीक को छाबड़ा वेंट्रिकुलो परिटोनियल नाम दिया गया आज इस स्टंट का उपयोग 28 देशों में हो रहा है।
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डॉ छाबड़ा के निधन पर संजय गांधी पीजीआई के निदेशक डॉ आर के धीमान, सीएमएस डॉ अमित अग्रवाल, पूर्व निदेशक डॉ राकेश कपूर, विवेकानंद अस्पताल के स्वामी मुक्तिनाथानंद, आई एम ए लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष डॉ पी के गुप्ता, डॉ डीएस नेगी, डॉ दिव्य नारायण उपाध्याय,उपाध्याय, डॉ बिष्णु देव, डॉ शैलेन्द्र यादव, डॉ ईश्वर रामध्याल, डॉ बृजेश, डॉ आरबी अग्रवाल सहित अनेक डॉक्टरों ने शोक व्यक्त किया है।