शव घर तक पहुंचाने के लिए पीआरओ व डॉक्टरों ने दिये तीन हजार रुपये
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में मरीजों के साथ लापरवाही, अभद्रता जैसी खबरें अक्सर समाचार का हिस्सा बनती रहती हैं लेकिन इस खबर ने यहां का एक दूसरा ही मानवता और संवेदना भरा चेहरा दिखाया। फर्रुखाबाद की रहने वाली महिला शनिवार रात ट्रॉमा सेंटर में 10 वर्षीय पुत्र की मौत के बाद अजीब मुसीबत में पड़ गई, शव को फर्रुखाबाद स्थित अपने घर ले जाने के लिए महिला के पास रुपये नहीं थे। मुसीबत की इस घड़ी में ट्रॉमा सेंटर में तैनात पीआरओ और रेजीडेंट डॉक्टरों ने मानवता दिखाई और पीआरओ ने तीन हजार रुपयों की व्यवस्था कर महिला को दिया, जिसके बाद शव को लेकर परिवारीजन रवाना हुये।
रविवार को ट्रॉमा सेंटर में अच्छी खबर की चर्चा रही, प्राप्त जानकारी के अनुसार फर्रुखाबाद निवासी मरीज आशीष का इलाज उसकी मां, बड़ा भाई हिमांशु के साथ करा रही थी। क्योंकि उसके पिता की पूर्व में ही मृत्यु हो चुकी थी। इसलिए परिवार का भरण पोषण गरीबी मे हो रहा था। इसके बावजूद बीते कई दिनों से ट्रॉमा सेंटर के एनआईसीयू में 10 वर्षीय आशीष का इलाज चल रहा था। जैसे-तैसे मां अपने बेटे के इलाज के लिए रुपयों का इंतजाम कर रही थी। मगर, शनिवार रात नौ बजे भर्ती आशीष की मृत्यु हो गई। इसके बाद तो परिवार पर मानो पहाड़ टूट गया हो, शव को फर्रुखाबाद ले जाने के लिए शव वाहन संचालक ने 3500 रूपये मांगे, जबकि मां व भाई हिमांशु के पास केवल 500 रुपये ही थे। मां की इस पीड़ा की आवाज पीआरओ व रेजीडेंट डॉक्टरों तक पहुंची तो उनकी संवेदनाएं जागृत हुई पीआरओ ने आगे बढ़ते हुए आर्थिक सहयोग करते हुए रेजीडेंट चिकित्सकों व कर्मचारियों से भी सहयोग की मांग की। कुछ ही देर में तीन हजार रुपये एकत्र हो गये, जो कि पीआरओ ने आश्ीाष की मां को दिये, और मां शव को लेकर फर्रुखाबाद जा सकी।

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