-कोरोना, अम्फान के बाद अब टिड्डी दल की भारत को चुनौती

शुभम सक्सेना
कोरोना (जिसे हम चीनी वायरस भी कहें तो गलत नहीं होगा) और अम्फान तूफ़ान की चुनौतियां अभी कम नहीं हुईं थीं कि इन सब के बीच एक नई चुनौती भारत के सामने आ कर खड़ी हो गई है। यह चुनौती हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से आयी है। इस चुनौती को वैज्ञानिक भाषा में लोकस्ट और आम भाषा में टिड्डी कहा जाता है। गुजरात, राजस्थान, पंजाब के बाद अब मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के जिलों में टिड्डी दलों के हमले को लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। टिड्डी दलों का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है। मौसम में गरमी के प्रकोप से इनका हमला और तेज हो गया है। देश टिड्डी दलों के प्रकोप को काबू पाने के लिए चलाये जा रहे अभियान के साथ भारत ने टिड्डी उन्मूलन के लिए ईरान व अफगानिस्तान को भारत ने मदद देने का दिया भरोसा है। लेकिन इसके लिए प्रभावित क्षेत्रीय देशों की बुलाई बैठक में पाकिस्तान ने हिस्सा नहीं लिया।
क्या है टिड्डी
टिड्डी (Locust) ऐक्रिडाइइडी (Acridiide) परिवार के ऑर्थाप्टेरा (Orthoptera) गण का कीट है। हेमिप्टेरा (Hemiptera) गण के सिकेडा (Cicada) वंश का कीट भी टिड्डी या फसल डिड्डी (Harvest Locust) कहलाता है। इसे लधुश्रृंगीय टिड्डा (Short Horned Grasshopper) भी कहते हैं। संपूर्ण संसार में इसकी केवल छह जातियाँ पाई जाती हैं। यह प्रवासी कीट है और इसकी उड़ान दो हजार मील तक पाई गई है।इनके निवासस्थान उन स्थानों पर बनते हैं जहाँ जलवायु असंतुलित होता है और निवास के स्थान सीमित होते हैं। इन स्थानों पर रहने से अनुकूल ऋतु इनकी सीमित संख्या को संलग्न क्षेत्रों में फैलाने में सहायक होती है। वयस्क यूथचारी टिड्डियाँ गरम दिनों में झुंडों में उड़ा करती हैं। उड़ने के कारण पेशियाँ सक्रिय होती हैं, जिससे उनके शरीर का ताप बढ़ जाता है। वर्षा तथा जाड़े के दिनों में इनकी उड़ानें बंद रहती हैं। मरुभूमि टिड्डियों के झुंड, ग्रीष्म मानसून के समय, अफ्रीका से भारत आते हैं और पतझड़ के समय ईरान और अरब देशों की ओर चले जाते हैं।
रोकथाम और बचाव
इसपर नियंत्रण पाने के लिए हवाई जहाज से विषैली औषधियों का छिड़काव, विषैला चारा, जैसे बेंजीन हेक्साक्लोराइड के विलयन में भीगी हुई गेहूँ की भूसी का फैलाव इत्यादि उपयोगी होता है। टिड्डी दल को भगाने के लिए थालियां, ढोल, नगाड़़े, लाउडस्पीकर या दूसरी चीजों के माध्यम से शोरगुल मचाएं। जिससे वे आवाज़ सुनकर खेत से भाग जाएं, और अपने इरादों में कामयाब ना हो पाएं। टिड्डों ने जिस स्थान पर अपने अंडे दिये हों, वहां 25 कि.ग्रा 5 प्रतिशत मेलाथियोन या 1.5 प्रतिशत क्विनालफॉस को मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़कें। टिड्डी दल को आगे बढ़ने से रोकने के लिए 100 कि.ग्रा धान की भूसी को 0.5 कि.ग्रा फेनीट्रोथीयोन और 5 कि.ग्रा गुड़ के साथ मिलाकर खेत में डाल दें। इसके जहर से वे मर जाते हैं। फसल कट जाने के बाद खेत की गहरी जुताई करें। इससे इनके अंडे नष्ट हो जाते हैं।
टिड्डी मसले पर भारत ने पाकिस्तान को बैठक साझा अभियान चलाने की बात कही थी। दरअसल, ईरान की ओर से आने वाला टिड्डियों का झुंड पाकिस्तान होते हुए भारतीय सीमाओं पर हमला करता है। इससे तीनों देशों की खेती व बागवानी को भारी नुकसान होता है। अफ्रीका के अधिकतम देश टिड्डी दलों से तंग हैं। खेती नष्ट होने से यहां हर साल हजारों लोग भुखमरी की समस्या से जूझते हैं। भारत के प्रस्ताव पर ईरान के साथ मिलकर कार्य करने के लिए तैयार है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से अभी तक इस पर कोई सुगबुगाहट नहीं मिल पाई है। जबकि इसमें उपयोग किए जाने वाले कीटनाशकों की पूरी मात्रा का खर्च भारत उठाने को तैयार है। भारत ने ईरान को भी कीटनाशक भेजने का प्रस्ताव रखा है, ताकि टिड्डियों को उनकी पैदाइश के स्थल पर ही मार दिया जाए।

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