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यदि आपदा आ जाये तो कैसे करें बचाव, डॉक्‍टर क्‍या बरतें सावधानियां

भारत में पहली बार ऐसी विशेष कार्यशाला की केजीएमयू में हुई शुरुआत

देश-विदेश के विशेषज्ञों ने बताया कि डॉक्‍टर, बचाव दल, पत्रकार कैसे निभायें अपनी भूमिका

लखनऊ। अगर कहीं आपदा जैसी स्थिति बनती है तो वहां पर बचाव कार्य किस तरह चलाया जाना चाहिये, इसमें चिकित्‍सक, आपदा प्रबंधन कर्मी, पत्रकार किस तरह की सतर्कता बरतें जिससे कम समय में ज्‍यादा तेज राहत कार्य किया जा सके, इसके बारे में जानकारी देने के लिए आज 31 जुलाई को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के फोरेंसिक एवं ओडोंटोलॉजी यूनिट डिपार्टमेंट ऑफ ओरल पैथालाजी एवं माइक्रोबायोलॉजी द्वारा आयोजित International Conference of Forensic Odontology & Child Abuse विषय पर चार दिवसीय अन्तरर्राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हुआ।

सीपी गोविला सभागर में आयोजित इस कार्यक्रम के प्रथम दिन दो कार्यशालाओं एवं प्री-कान्फ्रेंस का उद्घाटन कमांड हास्पिटल के निदेशक मेजर जर्नल डॉ एके नन्दी तथा इंटरनेशनल कम्युनिटी ऑफ रेडक्रॉस (SAARC, India Division)  के प्रशांत भागवत, अधिष्ठाता दंत संकाय प्रो0 शादाब मोहम्मद एवं सम्मेलन की आयोजक सचिव एवं ओरल पैथालाजी की प्रोफेसर डॉ शालिनी गुप्ता द्वारा किया गया।

इस अवसर पर DVI LECTURE AND PERSPECTIVE OF EXPERIENCE IN PRACTICE FIELD विषय पर डॉ एमिलियो नुजोल्‍स ने आपदा की स्थिति में चिकित्सकों द्वारा अपनाई जाने वाली विधियां जैसे कि संक्रमण की रोकथाम, मृतक व्यक्ति की सही पहचान, पोस्टमार्टम के माध्यम से मौत के सटीक कारण के बारे में विस्तार से जानकारी दी तथा आधुनिक तकनीक द्वारा फारेंसिक जांच के नए आयामों पर चर्चा की।

इस कार्यशाला में इंटरनेशनल कम्युनिटी ऑफ रेडक्रॉस (SAARC, India Division)  के सलाहकार डॉ प्रशांत भागवत ने बताया कि आपदा की स्थिति में एनडीआरएफ के साथ तालमेल बैठाते हुए प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदा में ज्यादा से ज्यादा जनमानस की जान बचाने के साथ ही मृत व्यक्ति की सही पहचान किए जाने के लिए फोरेंसिक जांच करने में होने वाली कठनाइयों को दूर करने के तरीकों के बारे में जानकारी दी। इसके साथ उन्होंने मृत व्यक्ति के शरीर से फैलने वाले संक्रमण से आमलोगों को बचाने के बारे में भी विस्तार से बताया। इसके साथ ही उन्होंने घटनास्थल के आसपास उपस्थित लोगों तथा स्थानीय प्रशासन जैसे कि पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ तथा मीडिया की उपयोगिता पर भी जोर दिया।

इस अवसर पर आयोजित एक अन्य कार्यशाला में डॉ सत्यजीत टेकड़े, डॉ अमोल गडबेल एवं डॉ अपूर्वा सिंह ने PIXEL-SCOPIC ANALYSIS-WORKSHOP ON MORPHOMETRIC विषय पर जानकारी देते हुए बताया कि यह कार्यशाला दंत संकाय की सभी विशेषताएं एवं सामान्य पैथोलॉजी, एनाटॉमी एवं मेडिसिन विभाग के अन्य विषयों में समस्त स्नातक एवं परास्नातक विद्यार्थियों के शोध कार्यो के लिए अत्यंत लाभकारी है। डि‍जिटल तकनीक के वर्तमान विकास ने फॉरेंसिक ओडोंटोलॉजी में MORPHOMETRIC  विशलेषण के क्षेत्र को काफी व्यापक कर दिया है, जोकि फॉरेंसिक एवं दंत चिकित्सा के भविष्य में नए आयामों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश के विभिन्न संस्थानों के दंत विभाग, इंदिरा गांधी गर्वमेंट मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, नागपुर एवं डिपार्टमेंट ऑफ ओरल एंड मेक्सिलोफेशियल पैथोलॉजी, मार्डर्न डेंटल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर, इंदौर द्वारा फॉरेंसिक ओडोंटोलॉजी यूनिट, डिपार्टमेंट ऑफ ओरल पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, दंत संकाय, केजीएमयू के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग एवं समन्वय स्थापित किया जा रहा है।

सम्मेलन की आयोजक सचिव एवं ओरल पैथालाजी की प्रोफेसर डॉ शालिनी गुप्ता ने बताया कि इस प्रकार के सम्मेलन का आयोजन देश में पहली बार किया जा रहा है जिसमें देशभर के मीडिया, फॉरेंसिक विशेषज्ञ, पुलिस विभाग तथा विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देकर चिकित्सा क्षेत्र, बाल अपराध एवं शोषण की रोकथाम एवं इसके निदान व जांच कार्यो में विशेष रूप से सहयोग मिलेगा। इस अवसर पर मुख्य रूप से एसडीआरएफ की अपर पुलिस अधीक्षक निहारिका शर्मा, शोएब इकबाल, आत्‍म प्रकाश यादव, शोभनाथ यादव, एहसान उल्‍ला खान, रजनीकान्‍त राय, राकेश कुमार राव, महेन्‍द्र यादव, देवानंद बरनवाल, मनोज कुमार गौतम और एसडीआरएफ के मीडिया सेल प्रभारी शिव किशोर पाण्डेय, एफएसएल की निदेशक डॉ अर्चना त्रिपाठी, एम्स के प्रोफेसर डॉ आदर्श कुमार एवं मीडिया के वरिष्ठ पत्रकारों सहित विभिन्न संस्थानों के अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।