
लखनऊ। इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन ने सभी राजनीतिक दलों के समक्ष यह प्रश्न खड़ा किया है कि आखिर उनके एजेंडे में स्वास्थ्य एवं पर्यावरण मुख्य मुद्दा क्यों नहीं है जबकि यह सीधा-सीधा आम आदमी से जुड़ा है। एसोसिएशन ने इस सम्बन्ध में सभी राजनीतिक दलों को एक पत्र लिखा है।
यह जानकारी देते हुए आईएमए की लखनऊ शाखा के अध्यक्ष डॉ पीके गुप्ता ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि हमने राजनीतिक दलों के समक्ष दस मांगें रखी हैं। पत्रकार वार्ता में अवैेतनिक सचिव डॉ जेडी रावत भी शामिल रहे। डॉक्टरों द्वारा रखी गयीं मांगों में पर्यावरण प्रदूषण से होने वाली बीमारियों एवं जनसंख्या नियंत्रण को शामिल करना, टीबी रोग नियंत्रण के लिए पोलियो जैसे अभियान चलाना, पूर्वान्चल में इंसेफ्लाइटिस से होने वाली बच्चों की मौत को रोकने के प्रभावी कदम उठाना, प्रदेश सरकार के द्वारा लागू किया जाने वाला क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन कर छोटे अस्पताल, क्लीनिक एवं जांच केंद्रों को इस दायरे से मुक्त रखना, डॉक्टरों एवं अस्पतालों के विरुद्ध मारपीट एवं तोडफ़ोड़ से सम्बन्धित मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट का कड़ाई से पालन करना शामिल है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा हमारी मांगों में मेडिकल सेवा को आवश्यक जनोपयोगी सेवा घोषित करते हुए छोटे अस्पताल, क्लीनिक एवं जांच केंद्रों को आवासीय इलाके में चलाने की अनुमति प्रदान कर उनका विनियमितीकरण करना, निजी चिकित्सा संस्थानों पर नगर निगम द्वारा थोपा जाने वाला म्युनिसिपल लाइसेंस वापस लिया जाना, उपभोक्ता फोरम द्वारा चिकित्सकों पर थोपी जाने वाली मुआवजा राशि को कम किया जाना, प्रदेश सरकार द्वारा रोगों से बचाव एवं जांच के लिए शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में वेलनेस सेंटर खोले जाना तथा निजी क्लीनिक, अस्पताल एवं जांच केंद्रों के लिए नवनिर्मित कॉलोनियों में स्थान चिन्हित किया जाना शामिल है।

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