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30 वर्ष की सेवा पर जबरन सेवानिवृत्ति के निर्णय का होगा राष्‍ट्रीय स्‍तर पर विरोध

-इप्‍सेफ ने बुलायी 6 सितम्‍बर को कार्यकारिणी की बैठक, तय होगा आंदोलन का स्‍वरूप

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्‍सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्र एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर मांग की है कि 30 वर्ष की सेवा पर कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्त करने के निर्णय को तत्काल वापस ले क्योंकि 30 वर्ष की सेवा में कर्मचारियों के बच्चों की उच्च शिक्षा शादी विवाह तथा आवास आदि की व्यवस्था करनी होती है। उसके सेवानिवृत्त कर दिए जाने पर कर्मचारी का तो नहीं उसके परिवार का सत्यानाश हो जाएगा। इस सम्‍बन्‍ध में विरोध आंदोलन की रूपरेखा तय करने के लिए 6 सितम्‍बर को बैठक का आयोजन किया गया है।

वी पी मिश्र ने कहा की वर्तमान सरकार जब से आई है, भ्रष्टाचार एवं काम चोरी का नाम लेकर कर्मचारियों को जबरन सेवा निवृत्‍त करती जा रही है और रिक्त पदों पर भर्ती न करके संविदा/आउटसोर्सिंग पर कर्मचारी रखकर काम चला रही है। अनुभवी कर्मचारियों की कमी के कारण अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है जिसके कारण कोरोना-19 जैसी गंभीर बीमारी की ठीक से टेस्टिंग नहीं हो पा रही है और वार्डो में सुनिश्चित इलाज भी नहीं हो पा रहा है। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का भी जीवन खतरे में पड़ गया है वह भी जांच करते समय स्वयं संक्रमित हो जा रहे हैं। कई हजार कर्मचारियों की भी मौत हो चुकी है।

प्रेमचंद्र ने कहा कि सरकारी कार्यालयों में मुश्किल से 50% नियमित कर्मचारी रह गए हैं। पद खाली पड़े हैं, भर्तियां नहीं की जा रही हैं। कांट्रेक्चुअल बेसिस पर कर्मचारी रखकर काम कराया जा रहा है। उन्हें एक तो बहुत कम धनराशि दी जाती है वह भी कई-कई महीने बाद। उन्होंने कहा कि इसी कारण सरकार के सभी कार्यों के संपादन में बाधा पड़ रही है। उन्होंने कहा कि 6 सितंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 1:00 बजे राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होगी जिसमें अग्रिम कार्यवाही का निर्णय लिया जाएगा जिसमें आंदोलन भी शामिल है।

इप्सेफ ने प्रधानमंत्री से पुनः आग्रह किया है कि 30 वर्ष की सेवा पर जबरन सेवानिवृत्ति, रिक्त पदों पर भर्ती, पदोन्नति या न करने, आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए नियमावली न बनाने, आंगनबाड़ी सहायिका के शोषण आदि कारणों से देशभर का कर्मचारी सरकार से बहुत नाराज एवं आक्रोशित है। प्रधानमंत्री यदि इन समस्याओं पर संवाद करके सार्थक निर्णय नहीं लेते हैं तो देश भर के कर्मचारी बड़े आंदोलन पर जा सकते हैं जिसका उत्तरदायित्व भारत सरकार का ही होगा।

बैठक में इप्सेफ के वरिष्ठ पदाधिकारी अतुल मिश्रा, राष्ट्रीय सचिव डॉ के के सचान, शशि कुमार मिश्रा, अशोक कुमार, उपाध्यक्ष गिरीश चन्द्र मिश्र आदि उपस्थित थे।