Tuesday , December 3 2024

पांच तत्वों से बना है शरीर, पांच ही लक्षण होते हैं टीबी के : डॉ सूर्यकान्त

-लखनऊ के तीन सरकारी व 5 निजी मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सकों-कर्मियों के लिए केजीएमयू में कार्यशाला सम्पन्न

सेहत टाइम्स

लखनऊ। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम की नॉर्थ जोन टास्क फोर्स (उत्तर भारत के 9 राज्यों की टास्क फोर्स) के चेयरमेन व केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि जिस तरह मनुष्य का जीवन पांच तत्वों (धरती, जल, आकाश, वायु, अग्नि) से बना है, इसी तरह टीबी के पांच मुख्य लक्षण होते हैं जिन्हें सभी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जानना चाहिए।

डॉ सूर्यकान्त ने यह जानकारी आज 29 जुलाई को केजीएमयू के कलाम सेन्टर में जिला क्षय रोग केन्द्र लखनऊ तथा केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में सम्पन्न टीबी की कार्यशाला में लगभग 150 चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को सम्बोधित करते हुए दी। यह कार्यशाला लखनऊ के 3 सरकारी मेडिकल कालेजों (केजीएमयू, लोहिया, एसजीपीजीआई) तथा 5 प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों (इन्टिग्रल, ऐरा, कैरियर, टीएस मिश्रा, प्रसाद) के चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों के लिए आयोजित की गयी थी।

डॉ सूर्यकान्त ने टीबी के इन पांच लक्षणों को विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा कि दो हफ्तों से ज्यादा खांसी, खांसी में खून आना, बुखार जो कि शाम को बढ़ जाता है तथा रात में बुखार के साथ पसीना भी आता है, भूख कम लगना तथा वजन का घटना है। अगर इन पांचों में से कोई लक्षण किसी व्यक्ति को हैं, तो उसे टीबी हो सकती है, इसके लिए बलगम की दो जांचें तथा सीने का एक्स-रे कराया जाता है।

ज्ञात रहे कि उप्र के समस्त मेडिकल कॉलेजों, जिला अस्पतालों, स्वास्थ्य केन्द्रों के सभी चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों को टीबी में प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी केजीएमयू को दी गयी है, जिसका प्रारम्भ फरवरी 2024 में उप्र के चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थसारथी शर्मा तथा केजीएमयू की कुलपति डॉ सोनिया नित्यानन्द ने किया था। ज्ञात रहे कि केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग को टीबी के क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ड्रग रेजिस्टेंट टीबी के लिए सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स घोषित किया है।

आज की कार्यशाला में जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ अतुल कुमार सिंघल, कार्यशाला के संयोजक डॉ अजय कुमार वर्मा, आयोजन सचिव डॉ दर्शन कुमार बजाज, सह सचिव डॉ ज्योति बाजपेई, डॉ अंकित कुमार ने भी कार्यशाला को संबोधित किया।

इस अवसर पर केजीएमयू के हड्डी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष तथा वर्तमान में प्रसाद मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डॉ जीके सिंह, उप्र में टीबी रिसर्च की चेयरपर्सन डॉ रिचा मिश्रा, केजीएमयू के डॉ एसके सिंह, डॉ प्रशांत बाजपेयी, डॉ अमित कुमार, डॉ पारुल जैन, डॉ सारिका गुप्ता आदि चिकित्सकों ने प्रतिभागियों को टीबी के सम्बन्ध में प्रशिक्षण दिया। इस कार्यशाला में साधारण टीबी, एमडीआर टीबी, फेफडे़ के अलावा अन्य अंगों की टीबी, टीबी की दवाओं के कुप्रभाव आदि विषयों पर सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.