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लेजर टेक्निक इलाज से दांतों में ठंडा-गरम की समस्या होगी छूमंतर

-केजीएमयू के कंजर्वेटिव डेंटिस्ट्री एंड एंडोडोंटिक्स विभाग में “डेंटिस्ट्री में लेजर की बहुमुखी भूमिका ” विषय पर कार्यशाला आयोजित

सेहत टाइम्स

लखनऊ। दांतों में झनझनाहट, ठंडा-गरम, खट्टा-मीठा लगना जैसी डेंटल सेंसटिविटी की समस्याओं के साथ ही डेंटल सर्जरी में लेजर टेक्निक से इलाज किसी वरदान से कम नहीं है। यह बात आज 26 अप्रैल को केजीएमयू के कंजर्वेटिव डेंटिस्ट्री एंड एंडोडोंटिक्स विभाग में डेंटस्प्लाईसिरोना के सहयोग से “डेंटिस्ट्री में लेजर की बहुमुखी भूमिका प्रतिभा” विषय पर आयोजित कार्यशाला में कही गयी। विशेषज्ञों ने बताया कि लेजर विधि से सर्जरी करने में काट-पीट और रक्तस्राव नहीं होता है जिससे दर्द भी न के बराबर होता है।

कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति, प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद ने केजीएमयू के दंत चिकित्सा विज्ञान संकाय के डीन डॉ रंजीत कुमार पाटिल के साथ किया। इस कार्यक्रम में लखनऊ के विभिन्न निजी कॉलेजों के स्नातकोत्तर और निजी चिकित्सकों सहित 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का आयोजन प्रो. राकेश कुमार यादव और विभाग के अन्य संकाय सदस्यों, जिनमें प्रो. रमेश भारती, प्रो. रिदम, डॉ. विजय कुमार शाक्य, डॉ. प्रज्ञा पांडे और डॉ. निशि सिंह शामिल थे, द्वारा विभागाध्यक्ष प्रोमिला वर्मा के मार्गदर्शन में किया गया।

कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने दांतों के उपचार में लेजर टेक्निक के इस्तेमाल पर ख़ुशी जताते हुए कहा कि निश्चित रूप से कार्यशाला ने दंत चिकित्सा की विभिन्न विशेषताओं में एक अभिनव उपकरण के रूप में लेजर के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान की, लेकिन साथ ही उन्होंने कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागियों से अपील की कि बिना पूरी तरह से सीखे लेजर का उपयोग न करें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों को लेजर दंत चिकित्सा में प्रगति के बारे में अपडेट रखना था, जहां लेजर पारंपरिक दंत चिकित्सा के नुकसान और सीमाओं को दूर करने के लिए सहायक के रूप में उभरे हैं, लेकिन लेजर टेक्निक सकारात्मक प्रभाव के साथ न्यूनतम आक्रामक प्रक्रिया भी कर सकता है। लेजर यांत्रिकी की गहरी समझ होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि अनुचित उपयोग संभावित रूप से ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकता है। कार्यशाला ने लेजर दंत चिकित्सा में ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया।

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