-प्रयागराज के चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में सामने आया दुर्लभ मामला
सेहत टाइम्स
लखनऊ/प्रयागराज। प्रयागराज के सरोजिनी नायडू चिल्ड्रेन हॉस्पिटल से एक चौंकाने वाली खबर सामने आयी है, इलाज के लिए अस्पताल लाये गये सात माह के बच्चे के पेट में करीब दो किलोग्राम का भ्रूण पाया गया, जिसे डॉक्टरों ने सर्जरी कर सफलतापूर्वक निकालने में सफलता प्राप्त की है, ऑपरेशन के बाद बच्चा स्वस्थ है और वह डॉक्टरों की गहन निगरानी में है। दुर्लभ तरीके की इस स्थिति को फीटस इन फीटू (भ्रूण में भ्रूण, गर्भ में पल रहे शिशु के पेट में एक और शिशु की मौजूदगी) कहते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार कुंडा प्रतापगढ़ के रहने वाले संदीप पांडेय को सात माह पूर्व पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी, हालांकि डिलीवरी के दौरान मां की मृत्यु हो गयी थी, शिशु को जन्म से ही पेट दर्द की शिकायत थी, जिसे उन्होंने लखनऊ सहित कई जगहों पर दिखाया, लेकिन कहीं पैसे की कमी तो कहीं फायदा न होने के परिणामस्वरूप बच्चे को सही इलाज नहीं मिल सका। सात महीने का होने पर बच्चे को सांस लेने में दिक्कत आने लगी। वह कुछ खा-पी भी नहीं रहा था, इसलिए उसका वजन भी लगातार घटने लगा। इसके बाद पिछले दिनों बच्चे के पिता ने प्रयागराज स्थित सरोजिनी नायडू चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में बच्चे को दिखाया, बताया जाता है कि यहां पर डॉक्टरों ने यह सोचकर कि बच्चे को ट्यूमर तो नहीं है, इसकी पुष्टि करने के लिए उन्होंने सीटी स्कैन कराया जिसकी रिपोर्ट देखकर डॉक्टर हैरान रह गये, बच्चे के पेट में एक भ्रूण पल रहा था, इसका वजन करीब दो किलो था।
इसके बाद बच्चे को देखने वाले डॉ डी कुमार ने बच्चे की सर्जरी कर उसे निकालने का फैसला लिया, शुक्रवार को डॉ. डी कुमार, डॉ. नीतू और डॉ. अरविंद यादव की टीम ने चार घंटे तक ऑपरेशन करके बच्चे के पेट से भ्रूण को निकाला। फिलहाल बच्चे को अस्पताल के पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) में रखा गया है।
इस दुर्लभ केस के बारे में डॉक्टरों का कहना है कि मां के गर्भ में पल रहे भ्रूण के भीतर दूसरा भ्रूण तैयार होने से ऐसे मामले अपवाद स्वरूप सामने आते हैं। ऑपरेशन करने वाले सर्जन डॉ. डी. कुमार ने बताया कि शुक्राणु और अंडाणु मिलकर दो जाइगोट बनने से ऐसी परिस्थिति बनती है। पहले जाइगोट से बच्चा बनता है और दूसरा बच्चे के पेट में चला जाता है। पेट में यह भ्रूण ट्यूमर की तरह बढ़ने लगता है। इस स्थिति को ही फीटस इन फीटू कहते हैं। अगर यही दूसरा जाइगोट बच्चे के शरीर के अंदर न जाकर बाहर यानी मां के पेट में बनता-पलता है तो वह जुड़वां बच्चा कहलाता है।