दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

दिल्ली हाई कोर्ट ने पब्लिक प्लेस पर स्तनपान (Breast feeding) की सुविधा मुहैया कराने की मांग वाली याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार और सिविक बॉडीज से अपना रुख साफ करने के लिए कहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हाई कोर्ट ने अथॉरिटीज का ध्यान खींचते हुए कहा कि दुनियाभर में महिलाओं को यह सुविधा मुहैया कराई जा रही है।
ज्ञात हो माँ के दूध की महत्ता अब जगजाहिर हो चुकी है। रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने में बेजोड़ यह अमृत शिशु को मिले, इसके लिए अनेक गाइड लाइन जारी की जा चुकी हैं। यहां तक कि विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन भी हर वर्ष 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाता है। भारत में भी सरकार विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन करती है। लेकिन इस तरह के आयोजन तात्कालिक जागरूकता के लिए नहीं होने चाहिये, बल्कि इससे सीख लेने की जरूरत होती है, लेकिन ऐसा होता नहीं है इसका बड़ा उदाहरण यह है कि एयरपोर्ट जैसे स्थान पर भी ब्रेस्टफीडिंग के लिए जगह नहीं बनायी गयी है।
ऐक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी. हरि शंकर की बेंच ने कहा कि जरूरी है कि मामले को जमीन पर अधिकार रखने वाली सभी एजेंसियां और सिविक बॉडीज देखें। इसके बाद अदालत ने तीनों एमसीडी, डीडीए के अलावा केंद्र और दिल्ली सरकार को भी इस मुद्दे पर नोटिस जारी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि एयरपोर्ट तक पर बच्चों के ब्रेस्टफीडिंग की सुविधा नहीं है।
हाई कोर्ट ने मुद्दे के निपटारे के लिए सभी अथॉरिटीज की ओर से की गई कार्रवाई पर चार हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा है। अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी। हाई कोर्ट एक मां और उसके नवजात बच्चे की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
याचिका में सार्वजनिक जगहों पर बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग की सुविधा मुहैया कराने की मांग की गई है। एडवोकेट अनिमेश रस्तोगी के जरिए दायर याचिका में दलील दी गई है कि ऐसी सुविधा मुहैया न कराना एक महिला के निजता के अधिकार में बाधा डालने जैसा है।

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