Tuesday , October 17 2023

कुछ अलग है इस बार का वायरल और उससे होने वाली परेशानियां

-बुखार-दर्द से जूझते मरीजों पर डॉ गौरांग गुप्‍ता से सेहत टाइम्‍स की विशेष वार्ता

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। पिछले कुछ समय से लोग बुखार के साथ पैरों में दर्द, थकान, शरीर पर चकत्‍ते जैसे अलग-अलग परेशानियों से जूझ रहे हैं। लोगों का कहना है कि बुखार ठीक होने के बाद भी दर्द से छुटकारा नहीं मिल रहा है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस बार की बुखार के साथ हो रही परेशानियां कुछ अलग प्रकार की हैं। इस बारे में ज्‍यादा जानकारी लेने के लिए सेहत टाइम्‍स ने गौरांग क्‍लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्‍योपैथिक रिसर्च के कन्‍सल्‍टेंट डॉ गौरांग गुप्‍ता से बात की।

डॉ गौरांग ने बताया कि मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि इस बार के वायरल से ग्रस्‍त होने वाले मरीजों को साधारण वायरल वाले लक्षण नहीं हैं। साधारण वायरल वाले लक्षण सर्दी, जुकाम, नजला नहीं हैं, मरीज इस बार अलग-अलग प्रकार की परेशानियां लेकर आ रहे हैं।

बुखार

डॉ गौरांग ने बताया कि हाई फीवर 103, 104, 105 डिग्री लगातार बना रहता है, मरीज बताते हैं कि बुखार की दवा से तीन-चार घंटे तक दो डिग्री उतरता है, इसके बाद फि‍र पहले की तरह तेज हो जाता है। यह बुखार 3 से 5 दिन रहता है। हाई फीवर जब आता है तो ठंड लगकर आता है। डॉ गौरांग बताते हैं कि कुछ मरीज ऐसे भी आ रहे हैं जिनको बुखार 1 से 2 दिन 100-101 डिग्री आया, जबकि कुछ को बुखार आया ही नहीं, लेकिन बाकी लक्षण वही रहते हैं।     

दर्द

डॉ गौरांग ने बताया कि जोड़ों का दर्द विशेषकर घुटनों और एड़ी में दर्द होता है। शुरुआत में यह दर्द इतना कम होता है कि लोग समझते हैं कि यह थकान की वजह से होगा लेकिन थोड़े समय बाद यह धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। वे बताते हैं कि दर्द शुरू होने के 6 से 12 घंटे के अंदर बुखार आता है, तथा बुखार उतरने के 1-2 माह तक यह दर्द रह सकता है।

स्‍वाद

डॉ गौरांग ने बताया कि मरीजों को बुखार के दौरान मुंह में कड़वापन लगना, भूख न लगना, नमक ज्‍यादा महसूस होना, मसूढ़ों में सूजन आने की शिकायत पायी जा रही है।

रैशेज

डॉ गौरांग बताते हैं कि यह भी देखा जा रहा है कि बुखार कम होने या उतरने पर चेहरे, हाथ, पैर पर रैशेज पड़ जाते हैं, गले में कांटे जैसी चुभन, मुंह में छाले होने का अहसास होता है।

प्‍लेटलेट्स

डॉ गौरांग बताते हैं कि एक खास बात यह है कि बुखार उतरने के बाद प्‍लेटलेट्स डाउन हो जाते हैं, लोग समझते हैं कि बुखार उतर गया, अब हम स्‍वस्‍थ हो गये लेकिन जब प्‍लेटलेट्स का टेस्‍ट कराया जाता है तो वह कम 50-60 हजार आती हैं। उन्‍होंने बताया कि बुखार शुरू होने के एक हफ्ते बाद प्‍लेटलेट्स डाउन होती है।

टेस्‍ट निगेटिव

मरीजों को होने वाले लक्षण डेंगू और चिकनगुनिया के मिले-जुले होते हैं, लेकिन जब जांच कराओ तो डेंगू और चिकनगुनिया निगेटिव निकलता है जबकि टाइफायड न होते हुए भी टायफायड पॉजिटिव आ जाता है, और फि‍र मरीज का टायफायड का इलाज शुरू हो जाता है, जो कि गलत है। उन्‍होंने कहा कि इस प्रकार तीन प्रकार से मरीज का गलत इलाज हो जाता है।

सलाह

डॉ गौरांग ने सलाह दी कि बुखार उतरने के बाद प्‍लेटलेट्स की जांच करा सकते हैं, यदि न करायें तो बुखार आने पर 15 दिन तक प्‍लेटलेट्स बढ़ाने के लिए घरेलू उपचार कर सकते हैं। प्‍लेटलेट्स डाउन होने पर बुखार की दवा नुकसान कर सकती है, इसलिए बुखार होने पर स्‍वयं दवा न करें, अपने चिकित्‍सक से मिलें।

होम्‍योपैथिक दवाओं की भूमिका

डॉ गौरांग बताते हैं कि होम्‍योपैथिक दवाओं में मरीज को केंद्र में रखकर दवाओं का चुनाव किया जाता है, मरीजों के लक्षणों के अनुसार दवा का चुनाव कर उन्‍हें उससे लाभ हो रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.