-कब्ज जागरूकता माह दिसम्बर के मौके पर डॉ गिरीश गुप्ता से विशेष वार्ता

सेहत टाइम्स
लखनऊ। कब्ज अनेक प्रकार का होता है, होम्योपैथी में हर प्रकार के कब्ज के लिए अलग-अलग दवायें उपलब्ध हैं, ये दवायें बहुत ही सुरक्षित हैं, चूंकि हर प्रकार के कब्ज की अलग-अलग दवायें हैं, इसलिए इन दवाओं का असर मरीज पर बहुत शीघ्र और प्रभावी होता है।
यह कहना है वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ गिरीश गुप्ता का। कपूरथला अलीगंज स्थित गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च के संस्थापक मुख्य परामर्शदाता डॉ गिरीश गुप्ता ने कब्ज जागरूकता माह दिसम्बर (Constipation Awareness Month, December) के मौके पर ‘सेहत टाइम्स’ से विशेष बातचीत में बताया कि कब्ज की बीमारी को लम्बे समय तक अगर अनदेखा किया जाये तो यह अनेक प्रकार के बड़े रोगों को जन्म दे सकती है, इसलिए बेहतर है कि इसका इलाज समय रहते करा लिया जाये। उन्होंने बताया कि सबसे पहले तो यह समझना होगा कि कब्ज कितने प्रकार का होता है, या यूं कहें कि किस-किस प्रकार की स्थिति को कब्ज कहते हैं। उन्होंने बताया कि रोजाना पेट क्लियर नहीं हो रहा है, तो यह कब्जियत है, साफ तरीके से शौच न पाने के कारण दिन में कई बार जाना पड़ रहा है, यह भी कब्जियत है, लूज मोशन है लेकिन पूरी तरह क्लियर नहीं हो रहा है, यह भी कब्ज है, पत्थर जैसा कड़ा मोशन हो जाये, यह भी कब्जियत है, बच्चों में बकरी जैसा स्टूल की शिकायत हो वह भी कब्ज है, कई-कई दिन शौच महसूस ही नहीं होती है, यह भी कब्जियत है। स्टूल की गांठ जैसी बन जाती हैं, यह भी कब्जियत है। कुल मिलाकर मोटे तौर पर कहा जाये तो आंतों की पूरी तरह सफाई न होना कब्जियत है।
डॉ गुप्ता बताते हैं कि कब्ज होने के कारणों की बात करें तो एक वजह होती है कि bowel inertia यानी आंतें कमजोर होने से उनमें शक्ति नहीं है, जिससे स्वाभाविक प्रक्रिया में मल आंतों से बाहर नहीं आ पाता है। उन्होंने बताया कि कई बार लुबरीकेंट की कमी होने से आंतें सूख जाती हैं, जिससे कब्जियत की शिकायत हो जाती है।
इससे बचाव की बात करें तो पानी ज्यादा पानी पीना चाहिये, भोजन में रफेज यानी रेशेदार फल, खाद्य-पदार्थ जरूर लेना चाहिये, पॉलिश्ड राइस, पॉलिश्ड दालें, मैदा, फास्ट फूड खाने से बचना चाहिये।

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