Friday , October 13 2023

मल्टी ऑर्गन फेलियर महिला को मौत के मुंह से वापस लाये KGMU के डॉक्टर

एक माह पहले पुणे से लाकर भर्ती कराया गया था 60 वर्षीय महिला को

पद्माकर पांडेय

लखनऊ। केजीएमयू, ट्रामा सेंटर के आरआईसीयू में भर्ती महिला को , डॉ.वेद प्रकाश और उनकी टीम अपने कुशल योग्यता और अथक प्रयासों से मौत के मुहाने से वापस ले आये। मात्र एक माह के इलाज के बाद शुगर व बीपी से पीडि़त उक्त महिला खुद से न केवल सांस ले रही है बल्कि उसके ब्रेन, किडनी, लिवर व फेफड़ों ने भी काम करना शुरू कर दिया है।

यह जानकारी गुरुवार को इलाज करने वाले विभागाध्यक्ष प्रो.वेद प्रकाश ने, मरीज व अपनी पूरी टीम को पत्रकारों से रूबरू कराते हुए दी।

ट्रामा के बाद, वर्तमान में शताब्दी फेज टू में भर्ती महिला की जानकारी देते हुए प्रो.वेद ने बताया कि पुणे निवासी 60 वर्षीय दुर्गा देवी बीती 25 फरवरी को बेहोशी की हालत में ट्रामा सेंटर लाई गई थी। मधुमेह व बीपी से पीडि़त होने के साथ ही महिला के किडनी, हार्ट, लिवर व फेफडे़ काम नहीं कर रहें थे। ब्रेन भी सक्रिय नहीं था, लिहाजा बेहोशी की हालत में तेजी से मौत की ओर बढ़ रही थी।

डॉ वेद प्रकाश ने बताया कि ब्रेन हैमरेज का इलाज चल रहा था जिसकी वजह से मरीज में निमोनिया और फिर सेप्टिक हो गया था। सेप्टिक शाक की वजह से महिला मल्टीआर्गन फेल्योर में चली गई थी। इतना ही नहीं लगातार ब्लीडिंग हो रही थी, लिहाजा प्लेटलेट्स 40 हजार तक पहुंच चुके थे। कुछ मिलाकर शरीर में अत्यंत गंभीर बीमारियां प्रविष्ट कर चुकी थीं, शरीर इलाज में सपोर्ट नहीं कर रहा था। केस की गंभीरता यहीं खत्म नहीं हुई, हास्पिटल एक्वायर्ड निमोनिया का केस समझकर ट्रामा के वेंटीलेटर पर भर्ती करने के बाद चिकुनगुनिया आदि की जांचें कराई गयीं तो टयूबर क्लोसिस की पुष्टि हुई, ब्लड के माध्यम से टीबी शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंच गई थी। शुरूआती चरण में टीबी की पुष्टि होने की वजह से इलाज शुरू किया, टीबी कंट्रोल करने के साथ ही सेप्टीसिमिया व निमोनिया को कंट्रोल किया।

प्रो वेद ने बताया कि बहुत समय लगा, हमारे साथ डॉ.अजय कुमार वर्मा और डॉक्टरों की टीम निरंतर मरीज के फालोअप में सक्रिय रही । नर्सिंग सेवाएं बेहतर मिलने की वजह से मरीज में अप्रत्याशित परंतु अपेक्षित सुधार के परिणाम मिले। इलाज के दौरान बीच में वेंटीलेटर से हटाया गया था, मगर हाई पावर की एंटीबायोटिक दवाएं अप्रभावी हो चुकी थी, एंटी फंगल दवाएं भी दी जा रही थीं, सांस देने के लिए गले में सीटी (टे्रकेस्टॉमी) लगाई थी, मगर टीम की बेहतर प्रयासों से दुर्गा देवी में तेजी से सुधार शुरू हो गया और बीते 18 मार्च से वेंटीलेटर हटा दिया गया है, दुर्गा देवी सामान्य बेड पर भर्ती हैं और शीघ्र ही उन्हें डिस्चार्ज कर घर भेज दिया जायेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.