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लिवर का रखें ध्‍यान, यह गड़बड़ हुआ तो दे सकता है कई बीमारियां : प्रो शिव कुमार सरीन

-संजय गांधी पीजीआई में हेपेटोलॉजी विभाग का उद्घाटन किया सुरेश खन्‍ना ने

-मंत्री ने कहा कि कोशिश करें एसजीपीजीआई नम्‍बर तीन से नम्‍बर एक पर आये

मंचासीन बायें से डॉ आरके धीमन, सुरेश कुमार खन्‍ना, आलोक कुमार व डॉ राजन सक्‍सेना तथा वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये समारोह को सम्‍बोधित करते प्रो शिव कुमार सरीन

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पूर्ण रूप से समर्पित हेपेटोलॉजी विभाग की अत्यंत आवश्यकता है क्योंकि भारत में हेपेटाइटिस बी, हेपिटाइटिस सी, शराब और फैटी लिवर के चलते लि‍वर की बीमारियों से ग्रस्त मरीजों का बहुत बोझ है। फैटी लिवर के कारण डायबिटीज, हाईपरटेंशन, हार्ट डिजीज, पित्‍त की थैली में पथरी तथा लिवर के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, यह आनुवांशिक भी होता है। किसी भी व्‍यक्ति को अपना लिवर ठीक रखना बहुत आवश्‍यक है, यह शरीर का केंद्र बिंदु है।

यह बात नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलिअरी साइंसेज के निदेशक प्रोफेसर शिव कुमार सरीन ने संजय गांधी पीजीआई में हेपेटोलॉजी विभाग के उद्घाटन के मौके पर अपने संबोधन में कही। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिए अपने संबोधन में प्रोफ़ेसर शिव कुमार ने कहा कि गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग और हेपोटोलॉजी विभाग संयुक्‍त रूप से प्रयास करते हुए कॉनिक लिवर डिजीजेस का उपचार और उससे बचाव का कार्यक्रम चलाने चाहिये।

उन्‍होंने कहा कि लिवर की यह खासियत है कि इसे काट दें तो चार हफ्ते में यह पूरा बन जाता है यानी अगर किसी जरूरतमंद को 60 फीसदी लिवर काट कर दे दिया गया तो उस व्‍यक्ति की जान बच जायेगी साथ ही चार सप्‍ताह में 40 प्रतिशत वाला लिवर फि‍र से 100 प्रतिशत बन जायेगा। उन्‍होंने कहा कि लिवर स्‍पेशियलिस्‍ट की भारत में बहुत जरूरत है, पूरे भारत में सिर्फ करीब 100 लिवर स्‍पेशियलिस्‍ट हैं। निदेशक प्रो धीमन की तारीफ करते हुए उन्‍होंने कहा कि यह बहुत सौभाग्‍य की बात है कि प्रो धीमन जैसा व्‍यक्ति इस समय एसजीपीजीआई में है। उन्‍होंने कहा कि डॉ धीमन ही वह व्‍यक्ति हैं जिन्‍होंने चंडीगढ़ पीजीआई में रहते हुए हेपेटाइटिस सी के खिलाफ देश में कैम्‍पेन की शुरुआत की थी।

इस मौके पर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा एवं वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट में हेपेटोलॉजी विभाग का उद्घाटन करते हुए कहा कि उन्‍होंने कहा कि इलाज के साथ ही हम अगर लिवर की बीमारी से बचाव पर भी फोकस करें तो उसका बहुत बड़ा फायदा होगा। उन्‍होंने कहा कि डॉ धीमन ने जबसे चार्ज सम्‍भाला है, तबसे एक उत्‍साह दिखायी देता है और यह विश्‍वास आता है कि हम मरीजों की सेवा, चिकित्सा शिक्षा और शोध के क्षेत्र में अग्रणी रह सकते हैं। मैं डॉ धीमन की इस सोच की सराहना करता हूं, उन्‍होंने कहा कि आज प्रदेश के किसी कोने में मरीज होता है वह सबसे ज्‍यादा एसजीपीजीआई पर भरोसा दिखाता है। उन्‍होंने कहा कि संस्‍थान को इस मुकाम तक लाने में संस्‍थान के सभी व्‍यक्तियों का योगदान है। लोगों का संस्‍थान के प्रति यह भरोसा एक दिन में नहीं बन गया है, शुरुआत से यहां की जो कार्यशैली रही उसी का यह नतीजा है। उन्‍होंने कहा कि अभी यह संस्‍थान देश में तीसरे नम्‍बर पर कहा जाता है, लेकिन कोशिश यह करिये कि इसे नम्‍बर एक पर लाया जा सके।

उन्‍होंने कहा कि मरीज और उसके तीमारदार की मन:स्थिति दुख वाली होती है, इसलिए व्‍यथित मानसिकता वाले व्‍यक्ति कभी-कभी ऐसी बात भी कर देते हैं जो कि ठीक नहीं होती है, इसलिए संस्‍थान के लोगों को चाहिये कि वे मरीज और उसके तीमारदारों से बात करते समय यह खयाल रखें कि उनकी मानसिक स्थिति सामान्‍य नहीं है।

इससे पूर्व देवी सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ समारोह की शुरुआत हुई। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमन ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए एसजीपीजीआई में हेपेटोलॉजी विभाग की स्थापना को बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह उत्तर प्रदेश का पहला पूर्ण समर्पित हेपेटोलॉजी विभाग है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि लिवर ट्रांसप्लांट का कार्यक्रम निर्बाध रूप से चलता रहे।

इस मौके पर उपस्थित चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में हमें स्वास्थ्य रक्षा की ऐसी प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है कि किसी भी व्यक्ति को उपचार कराने के लिए दूसरे राज्यों में न जाना पड़े। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एसजीपीजीआई को सहायता देने के लिए हमेशा तैयार है लेकिन साथ ही संस्थान को भी चाहिए कि वह भी ऐसा रास्ता तलाशे जिससे वह आत्म स्थिर बना रहे। कार्यक्रम के अंत में धन्‍यवाद भाषण सेंटर फॉर हिपेटोबियलेरी डिजीजेस एंड ट्रांसप्‍लांटेशन के विभागाध्‍यक्ष प्रो राजन सक्‍सेना ने दिया।