जीवन जीने की कला सिखाती कहानी – 10

प्रेरणादायक प्रसंग/कहानियों का इतिहास बहुत पुराना है, अच्छे विचारों को जेहन में गहरे से उतारने की कला के रूप में इन कहानियों की बड़ी भूमिका है। बचपन में दादा-दादी व अन्य बुजुर्ग बच्चों को कहानी-कहानी में ही जीवन जीने का ऐसा सलीका बता देते थे, जो बड़े होने पर भी आपको प्रेरणा देता रहता है। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ भूपेन्द्र सिंह के माध्यम से ‘सेहत टाइम्स’ अपने पाठकों तक मानसिक स्वास्थ्य में सहायक ऐसे प्रसंग/कहानियां पहुंचाने का प्रयास कर रहा है…
प्रस्तुत है दसवीं कहानी – आत्मघाती कदम
एक बकरी के पीछे शिकारी कुत्ते दौड़े। बकरी जान बचाकर अंगूरों की झाड़ी में घुस गयी, कुत्ते आगे निकल गए।
बकरी ने निश्चिंततापूर्वक गहरी सांस ली, सोचा बहुत अच्छा हुआ जो ये अंगूर की बेलें मुझे दिख गयीं नहीं तो आज मैं शिकारी कुत्तों का ग्रास बन जाती। उसने आराम से अंगूर की बेलों में अपने को महफूज रखते हुए अंगूर की बेलें खानी शुरू कर दीं और उसका यही कदम उसके लिए आत्मघाती साबित होने वाला था, उसने जल्दी-जल्दी जमीन से लेकर अपनी गर्दन की पहुंच तक की दूरी तक के सारे पत्ते खा लिए, पर यह क्या बकरी के पत्ते खाने से पत्ते झाड़ी में नहीं रहे। अब हाल था कि बकरी दूर से ही साफ नजर आने लगी, और फिर जिसका डर था वही हुआ। पत्तों के हटते ही छिपने का सहारा समाप्त हो जाने पर कुत्तों ने उसे देख लिया और उसे मार डाला !!
शिक्षा : सहारा देने वाले को जो नष्ट करता है, उसकी ऐसी ही दुर्गति होती है। बकरी की तरह यही कार्य आज मनुष्य भी कर रहा है, मनुष्य भी आज सहारा देने वाली जीवनदायिनी नदियां, पेड़-पौधों, जानवर, गाय, पर्वतों आदि को नुकसान पहुंचा रहा है और इन सभी का परिणाम भी अनेक आपदाओं के रूप में भोग रहा है।
इसलिए प्राकृतिक सम्पदा बचाओ और अपना कल सुरक्षित करो

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