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दु:खद स्थिति : बड़ी संख्या में कैंसरग्रस्त बच्चे सिर्फ इसलिए ठीक नहीं होते हैं क्योंकि वे इलाज नहीं कराते

-कल्याण सिंह अति विशिष्ट कैंसर संस्थान, लखनऊ में पीडियाट्रिक कैंसर जागरूकता माह (गोल्ड सितंबर) का आयोजन

सेहत टाइम्स

लखनऊ। कल्याण सिंह अति विशिष्ट कैंसर संस्थान, लखनऊ में 24 सितंबर को स्वास्थ्य पखवाड़े के अन्तर्गत “गोल्ड सितंबर” थीम के साथ बाल कैंसर जागरूकता माह मनाया गया। इसका उद्देश्य समाज और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के बीच बच्चों में होने वाले कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

इस अवसर पर केएसएसएससीआई के निदेशक प्रो. एम.एल.बी. भट्ट ने कहा कि भारत में हर वर्ष 50,000 से अधिक बच्चों में कैंसर के मामले सामने आते हैं, जिनमें से लगभग 20 प्रतिशत उत्तर प्रदेश से होते हैं। दुख की बात है कि जागरूकता की कमी के कारण आधे से भी कम बच्चों का ही उपचार हो पाता है। उन्होंने बाल कैंसर जैसे लिंफोमा, रक्त कैंसर, मस्तिष्क, अस्थि, नेत्र एवं लिवर के कैंसर के बारे में जानकारी दी। प्रो. भट्ट ने कैंसर से जंग जीत चुके तीन बच्चों को मंच पर बुलाया, जिन्होंने अपनी प्रेरणादायक विचार साझा किये।

डॉ. गीतिका पंत, विभागाध्यक्ष, पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी, ने बच्चों में पाए जाने वाले कैंसर के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक मामले रक्त कैंसर (ल्यूकेमिया) के होते हैं, जिनमें लंबे समय तक बुखार, बार-बार खून चढ़ना, थकान और दर्द जैसे लक्षण दिखते हैं। इसके बाद मस्तिष्क कैंसर आता है, जिसके लक्षण उल्टी, तेज सिरदर्द, आंखों की रोशनी धुंधली होना और सुनने की क्षमता कम होना हैं। तीसरा प्रमुख कैंसर लिंफोमा है, जिसमें गाठें (लिम्फ नोड) सूजना, बुखार और वजन कम होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। उन्होंने बताया कि संस्थान में सभी प्रकार के बाल कैंसर का सफलतापूर्वक उपचार किया जा रहा है।

डॉ. प्रियंका चौहान, सीनियर हेमेटोलॉजिस्ट एवं बी.एम.टी. विशेषज्ञ, ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट (BMT) की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और कहा कि सही समय पर इसका उपचार मिलने से जटिल और प्रतिरोधी कैंसर भी ठीक हो सकते हैं। उन्होंने बताया की उत्तर प्रदेश में सालाना 14000 से भी अधिक बच्चे कैंसर से ग्रसित होते हैं और उनमे से केवल 30 प्रतिशत ही अस्पताल पहुँच पाते हैं व लगभग 20 प्रतिशत ही पूरा इलाज़ करा पाते है।

डॉ. राखी जैन, एसोसिएट प्रोफेसर, पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी, ने कैंसर सर्वाइवर्स की जीवन यात्रा और समस्याओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि समय पर निदान हो जाए तो कैंसर का उपचार आसान हो जाता है। उन्होंने कैंसर से उबर चुके बच्चों में हार्मोनल समस्याओं और उनके इलाज के बारे में भी जानकारी दी।

कार्यक्रम में पोस्टर प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें प्रथम पुरस्कार नंदिता को मिला, जबकि द्वितीय पुरस्कार कामिनी वोहरा को एवं तृतीय पुरस्कार कामिनी देवी को दिया गया।

पब्लिक हेल्थ विभाग के प्रमुख डॉ. आयुष लोहिया ने सभी हितधारकों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद देते हुए कार्यक्रम का समापन इस आह्वान के साथ किया कि बाल कैंसर के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाकर ही समय पर निदान और उपचार संभव है।

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