कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज की घटना से क्षुब्ध आरडीए ने भेजा विरोध पत्र

लखनऊ। कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों की बुरी तरह की गयी पिटाई का मामला बढ़ता जा रहा है, यहां लखनऊ स्थित संजय गांधी पीजीआई की रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए पीड़ित चिकित्सकों के साथ खड़े होने का ऐलान किया है। एसोसिएशन ने इस सम्बन्ध में काररवाई की मांग करते हुए एक निंदा प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव की प्रति पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, केंद्र के स्वास्थ्य मंत्री, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तथा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री को भी भेजी है।
आपको बता दें कि एनआरएस मेडिकल कॉलेज में 85 वर्षीय बुजुर्ग की मृत्यु के बाद बुजुर्ग की मृत्यु के लिए चिकित्सक को दोषी बताते हुए के दो रेजीडेंट डॉक्टरों की पिटाई की गयी इनमें एक डॉ परिभा मुखर्जी को गंभीर चोटें आयी हैं उसके खोपड़े की हड़डी तक टूट गयी है। गंभीर हालत में चिकित्सक का इलाज चल रहा है। इस घटना को लेकर चिकित्सकों में जबरदस्त रोष है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जहां राष्ट्रीय स्तर पर इसका विरोध जताते हुए इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय महामंत्री ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा है, वहीं संजय गांधी पीजीआई के रेजीडेंट डॉक्टर भी इस घटना को लेकर आक्रोशित हैं।
प्रेसीडेंट डॉ अजय शुक्ला, वाइस प्रेसीडेंट डॉ अनूप राऊल, डॉ आकाश माथुर व डॉ अनिल गंगवार, महासचिव डॉ अक्षय, संयुक्त सचिव डॉ प्रकाश पाण्डेय, डॉ अमरीन इसरार व डॉ कस्तूरीरंगन, कोषाध्यक्ष डॉ मयूर अग्रवाल व डॉ अवधेश द्वारा भेजे गये पत्र में पीजीआई की रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने कहा है कि हम एनआरएस में हुए हालिया हमलों को प्रकाश में लाना चाहते हैं। डॉक्टरों के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद मरीज को बचाना हमेशा संभव नहीं है। डॉक्टर हमेशा अपनी पूरी कोशिश करता है लेकिन मनुष्य अमर नहीं है कि मौत न हो, लेकिन पश्चिम बंगाल की यह घटना साबित करती है कि हमला करने वाले बदमाशों को इस बात की समझ नहीं है या समझना नहीं चाहते हैं।
पत्र में कहा गया है कि इस घटना के विरोध में अगले दिन जब बर्द्धवान मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने विरोध कर प्रदर्शन किया तो उन पर भी हमले किये गये। पत्र में लिखा गया है कि पुलिस और राज्य प्रशासन की उदासीनता का ही यह परिणाम है कि ऐसी घटना कहीं न कहीं होती रहती है।
पत्र में कहा गया है कि बेड की अनुपलब्धता और जनता को किसी भी अन्य समस्या का सामना करना पड़ता है तो बुनियादी सुविधाओं की कमी के लिए डॉक्टरों को बलि का बकरा बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे माहौल में जब डॉक्टर कार्य करने जाता है तो उसको लगा है कि वह युद्ध में जा रहा है। पत्र में कहा गया है कि स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण हो इसके लिए दोषियों के खिलाफ सख्त काररवाई कर और उन्हें तुरंत न्याय दिलाया जाये। पत्र में कहा गया है कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं तो हम राष्ट्रव्यापी विरोध के लिए मजबूर होंगे।

Sehat Times | सेहत टाइम्स Health news and updates | Sehat Times