-जागरूकता जरूरी क्योंकि 70 प्रतिशत महिलायें इस बीमारी के होते हुए भी इससे अंजान

सेहत टाइम्स
लखनऊ। “पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम अब भारत में भी किशोरियों में एक नयी महामारी का रूप लेती जा रही है” यह बीमारी वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है, लगभग 70 प्रतिशत महिलायें इस बीमारी के होते हुए भी इससे अंजान है। फलस्वरूप उन्हें अपने जीवनकाल में निःसंतानता, मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग, मानसिक तनाव से जूझना पड़ता है।
यह बात एडोलसेंट हेल्थ एकेडमी लखनऊ एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की अध्यक्ष व राजेश्वरी हेल्थ केयर की डायरेक्टर डॉ निरुपमा मिश्रा ने रविवार को आई एम ए लखनऊ में आयोजित स्टेट लेवल रिफ्रेशर कोर्स की कार्यशाला में अपने व्याख्यान में कही। उन्होंने कहा कि विकसित समाज में जहां शारीरिक श्रम कम है और पैक्ड फूड का अधिक प्रचलन है वहां यह बीमारी ज्यादा है। इसीलिए इसे लाइफस्टाइल डिसीज कहा जाता है।
उन्होंने बताया कि इसके बढ़ते हुए प्रभाव को देखते हुए सितंबर माह को पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिसीज जागरूकता माह के रूप में विश्व में मनाया जाता है। डॉ निरुपमा ने इससे बचने और उपचार के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि स्वस्थ जीवनशैली, योग, व्यायाम और स्वस्थ खानपान को अपना कर इस बीमारी से बचा और उपचारित किया जा सकता है, इसके साथ ही कुछ दवाएं भी दी जाती है। आज की किशोरियों की तनावपूर्ण जीवनशैली के लिए डा निरूपमा मिश्रा ने 10, 5, 2, 1, 0 का मंत्र देते हुए कहा कि 10 घंटे की नींद, 5 प्रकार के फल व सब्जियां, स्क्रीन टाइम 2 घंटे, 1 घंटे शारीरिक गतिविधियां तथा 0 जंक फूड मंत्र को अपनाने की सलाह दी।

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