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हाय गर्मी…हाय-हाय गर्मी, सितम्‍बर माह में भी मई जैसी गर्मी, जानिये क्‍यों…

-बारिश हो रही है कम, बादल ने बना ली है दूरी, निकल रहा पसीना मुश्किल हो रहा जीना

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। सितम्‍बर का महीना आ चुका है, छह दिन बीत चुके हैं लेकिन गर्मी का आलम यह है कि मानो अभी मई का महीना हो। पसीने-पसीने हो रहे लोग परेशान हैं। दरअसल आमतौर पर होता यह है कि इस समय तक मौसम करवट लेने लगता है और तापमान भी 32 डिग्री सेल्सियस के आसपास आ जाता है। राजधानी लखनऊ की बात करें तो यहां अधिकतम तापमान 35.6  डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ है। बारिश भी नहीं हो रही है। इससे गर्मी अचानक बढ़ गई है। मौसम वैज्ञानिकों ने इसकी वजह आसमान में बादल की कमी होना बताया है।

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी एक हफ्ते ऐसे ही मौसम रहेगा। मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता का कहना है कि इस दौरान मामूली बारिश होने की वजह से चिपचिपी भरी गर्मी भी बढ़ सकती है।

ज्ञात हो यूपी में 1 जून से अब तक 601.7 मिलीमीटर औसत बरसात हुई है, जो सामान्य वर्षा 658.3 मिलीमीटर के सापेक्ष 91 प्रतिशत है। यूपी में बीते 24 घंटे में 7.1 मिमी औसत अनुमान से पचास प्रतिशत कम 3.5 मिमी बारिश हुई है। लखनऊ समेत एक दर्जन जिलों में सूखे जैसे हालत बन गए हैं।

इस बीच मौसम विभाग के अनुसार आज लखनऊ, सीतापुर, हरदोई में तेज बारिश हो सकती है। 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। इसके अलावा कन्नौज, औरैया, मैनपुरी, इटावा, आजमगढ़, जौनपुर, अंबेडकर नगर, कुशीनगर, गोरखपुर, संत कबीर नगर, बलरामपुर, बस्ती, बहराइच, बाराबंकी में भी बारिश के आसार हैं। यहां पर 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बिजली की गरज चमक के साथ बारिश होगी।


मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता का कहना है कि, इन दिनों आसमान में बादल बहुत कम हैं। बीच में कोई अवरोधक न होने से सूरज की रोशनी सीधे भी जमीन तक पहुंच रही है। इसीलिए उत्तर प्रदेश के वासियों को अधिक गर्मी का एहसास हो रहा है।


मौसम विशेषज्ञ ए एन मिश्रा का कहना है कि इन हालातों के लिए जलवायु परिवर्तन तो जिम्मेदार है ही, आसमान का साफ होना भी एक वजह है। ज्यादा बादल बन ही नहीं रहे। इससे सूरज की किरणें धरती तक सीधे पहुंच रही हैं। बारिश भी नहीं हो रही। पूर्व के वर्षों में 8 से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर भी बादल बनते थे तो रिमझिम फुहार करते रहते थे। लेकिन अब यह बादल 35 से 50 हजार फीट की ऊंचाई पर बनने लगे हैं, इससे बारिश कम हो गई है।

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