-कमजोर शरीर पर आसानी से हमला करता है टीबी का कीटाणु
-केजीएमयू के रेस्पाइरेटरी विभाग में निक्षय दिवस का आयोजन

सेहत टाइम्स
लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर सूर्य कान्त ने कहा है कि टीबी से बचने के लिए पौष्टिक आहार का सेवन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कमजोर शरीर में टीबी होने का खतरा ज्यादा रहता है। डॉ सूर्यकांत ने यह बात रविवार 15 जनवरी को रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग में भर्ती रोगियों के परिजनों को संबोधित करते हुए कही।
ज्ञात हो टीबी बीमारी को जड़ से हराने के लिए बड़े स्तर पर टीबी मुक्त भारत अभियान का आयोजन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत लोगों को जागरूक तो किया ही जा रहा है साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेशानुसार मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में हर महीने की 15 तारीख को टीबी को लेकर विशेष कैंप “निक्षय दिवस” का आयोजन भी किया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर सूर्य कान्त के निर्देशन में “निक्षय दिवस” का सफलतापूर्वक आयोजन आज 15 जनवरी को किया गया।
उन्होंने कहा कि टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए सभी को अपना योगदान देना होगा जिस किसी को भी 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी हो, खांसी में खून आता हो. बुखार रहता हो, भूख कम लगती हो, वजन कम हो गया हो या बच्चे का विकास न हो रहा हो, बच्चे के गर्दन में गिल्टी हों, तो उसको पास के सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच करानी चाहिए। सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच निशुल्क होती है और उपचार भी निशुल्क होता है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री के टीबी मुक्त भारत योजना के अंतर्गत 500 रुपये महीना पोषण भत्ता भी टीबी के रोगी को दिया जाता है। अतः आप सभी से यह अपील है कि ऐसा कोई व्यक्ति आपके घर परिवार, रिश्तेदार, आस-पड़ोस या कार्यालय में हो तो उसकी पास के सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच कराएं और टीबी पाए जाने पर निशुल्क इलाज कराएं।
उत्तर प्रदेश टीबी उन्मूलन की स्टेट टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि धूम्रपान करने वालों या अन्य कोई नशा करने वालों तथा कुपोषण के शिकार व्यक्तियों को टीबी होने का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे लोग जो घनी बस्ती में रहते हैं जहां सीलन ज्यादा रहती है, सूर्य का प्रकाश एवं शुद्ध वायु नहीं मिल पाती है, उनको भी टीबी होने का खतरा ज्यादा रहता है। जो व्यक्ति तनाव में जीते हैं उनको भी टीबी होने का खतरा ज्यादा होता है। वह लड़कियां जिनकी कम उम्र में शादी हो जाती है तथा ज्यादा और जल्दी-जल्दी जिनके बच्चे होते हैं उनको भी टीबी होने का खतरा ज्यादा रहता है। टीबी का इलाज डॉक्टर की सलाह से उचित समय तक लेना चाहिए उसको बीच में नहीं बंद करना चाहिए। टीबी के रोगी को खांसते समय अपने नाक और मुंह को ढंक कर रखना चाहिए। इसके साथ ही डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि मास्क का प्रयोग करने से भी टीबी संक्रमण का खतरा कम हो जाता है अतः टीबी से बचने के लिए टीबी रोगियों का समुचित इलाज किया जाना चाहिए , मास्क का प्रयोग करें, अपने पोषण का ध्यान रखें, संतुलित आहार करें, फास्ट फूड से बचें, धूम्रपान या अन्य नशे का प्रयोग न करें।
