Wednesday , October 11 2023

अब 18 मई को होगा यूपी में कर्मचारियों का धरना-प्रदर्शन

-निकाय चुनाव, धारा 144 के चलते टाल दिया गया था 11 अप्रैल का धरना-प्रदर्शन

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। कर्मचारियों की लम्बित मांगों को लेकर इप्सेफ (इन्डियन पब्लिक सर्विस इम्प्लाइज फेडरेशन) के आह्वान पर उत्‍तर प्रदेश के सभी जिलों में होने वाला धरना-प्रदर्शन 18 मई को किया जायेगा, तभी प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री को दोबारा ज्ञापन प्रेषित किया जायेगा।

यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वी पी मिश्र एवं महासचिव शशि कुमार मिश्र ने बताया कि 11 अप्रैल को स्थानीय निकाय चुनाव आचार संहिता एवं धारा 144 लगने के कारण धरना प्रदर्शन अब 18 मई को सभी जनपद मुख्यालयों पर होगा और प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को दोबारा ज्ञापन प्रेषित किया जाएगा।

शशि कुमार मिश्र ने बताया कि 4 वर्ष से लंबित वेतन समिति की संस्तुतियों को लागू  नहीं किया जा रहा है, महंगाई भत्ते की किस्त का भुगतान नहीं किया गया है, स्थानीय निकायों एवं अन्य विभागों में कैडर पुनर्गठन एवं अन्य मांगों का समाधान नहीं हुआ है जिससे सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा रिक्त पदों पर भर्ती, पदोन्नतियां, सेवा नियमावली में संशोधन नहीं किया गया है, आउटसोर्सिंग, संविदा कर्मियों की सेवा सुरक्षा के लिए स्थायी नींति नहीं बन पाई है। आंगनवाड़ी, सहायिका एवं स्वास्थ्य विभागों में पैरामेडिकल कर्मचारियों की समस्याएं असुलझी पड़ी हैं। मंत्रीगण, शासन के अधिकारी एवं विभागाध्यक्ष अपने कर्मचारियों की समस्याओं पर बैठक नहीं कर रहे हैं। शासन की स्थानांतरण नीति के विपरीत स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों/पदाधिकारियों के स्थानांतरण निरस्त नहीं हुए हैं।

उन्‍होंने कहा है कि सरकार कर्मचारी संगठनों को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। नगर प्रतिकर भत्ता (सीसीए) को बहाल नहीं किया गया है। वीपी मिश्रा ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि कर्मचारियों की पीड़ा को मिल बैठकर सुलझाएं वरना इन निकाय  चुनाव में पीड़ित कर्मचारी समाज खास कर निकाय के कर्मचारि‍यों व उसके परिवार की अहम भूमिका रहेगी, प्रदेश के कर्मचारी  परिवार से जानकारी करें तो पता चल जाएगा कि वह सरकार से खुश हैं या नाराज।

उन्होंने खेद व्यक्त किया है कि न तो वे स्वयं बैठक कर रहे हैं और न मुख्य सचिव एवं अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव /सचिव एवं विभागाध्यक्ष। उन्‍होंने कहा कि जब परिवार का मुखिया परिवार के सदस्य की पीड़ा को नहीं सुनते हैं तो परिवार में बिगाड़ व आक्रोश होता है, इसलिए मुख्यमंत्री स्वयं विचार करें।

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