-आईएमए में आयोजित सीएमई कार्यक्रम में बोलीं डॉ निरुपमा पी मिश्रा

सेहत टाइम्स
लखनऊ। किशोरियों में माहवारी संबंधी जानकारी का अभाव होने की वजह से आज भी कई भ्रांतियां हैं, लड़कियां डॉक्टर से परामर्श करने में संकोच करती हैं, जिसको विशेषज्ञ डॉक्टरों के द्वारा स्कूलों के माध्यम से बच्चों और माता-पिता को प्रशिक्षित कर के ही दूर किया जा सकता है।
यह जानकारी रविवार को आईएमए के तत्वावधान में आयोजित सतत् चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम में पीडियाट्रीशियन, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ व एडोलसेंट काउंसलर डॉ निरुपमा पी मिश्रा ने बताया कि क्यों किशोरावस्था की समस्याओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि आंकड़ों के अनुसार 18% जनसंख्या किशोरवय की है, जिनमें सिर्फ 1% किशोर अपनी मानसिक तनाव इत्यादि समस्याओं के लिए डॉक्टरी सलाह लें पाते हैं इसके पीछे एक कारण एंडोल्सेंट विशेषज्ञों की कमी है।
उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य की बात की जाए तो आज भी बच्चों में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण आत्महत्या है। 2021 की यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के बाद बच्चों में मानसिक तनाव की दोगुना वृद्धि हुई है। इसके अलावा रोड ऐक्सिडेंट जिसमें नशा करने की किशोर-किशोरियों की आदत चिंता बढ़ाने वाली है। कुपोषण जिसमें भुखमरी से ज्यादा किशोरों में फास्ट फूड कल्चर मोटापे को बढ़ावा दे रहे हैं, ऐसा नेशनल हेल्थ सर्वे में विदित है। उन्होंने कहा कि एनीमिया किशोरावस्था विशेष रूप से लड़कियों की एक और प्रमुख समस्या है। इसका प्रतिशत 21.95 है, जो चौंकाने वाला है। इसके अलावा कम उम्र में गर्भधारण और असुरक्षित गर्भपात भी चिंतित करने वाले हैं। इन सबको देखकर किशोरावस्था पर विशेष ध्यान दिया जाए तो प्रतिवर्ष 1.7 मिलियन युवा (10 से 19 वर्ष) जो प्रतिवर्ष उपरोक्त कारणों से जान से हाथ धो बैठे हैं, उसे रोका जा सकता है।
डॉ निरुपमा का कहना है कि लखनऊ एडोल्सेंट हेल्थ एकेडमी और इसकी केंद्रीय शाखा इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अंतर्गत बहुत काम कर रही है जिसके सकारात्मक परिणाम समाज में देखने को मिल रहे हैं। इसी तरह समाज के सभी वर्गों को मिलकर काम करना होगा तभी आज के किशोर जो कल के भविष्य हैं देश को आगे बढ़ाने में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं।

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