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परिवार कल्याण महानिदेशक ने उठायी जनसँख्या नीति की विफलता पर उंगली

अधिकारियों के सम्मान समारोह में बढ़ती जनसँख्या पर जताई गयी चिंता

 

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ. नीना गुप्ता का कहना है कि जनसँख्या को रोकने में हम विफल रहे हैं. जनसँख्या नियंत्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने में हम कोसों दूर हैं. उनका कहना है कि 65 साल पहले जनसँख्या नियंत्रण के लिए नीति बनाने के बाद भी हम इस दिशा में कामयाब नहीं हो सके हैं. उन्होंने अपने यह विचार आज यहाँ परिवार नियोजन सेवाओं को मजबूती प्रदान करने वाले लोगों को सम्मानित करने के अवसर पर व्यक्त किये.

डॉ. नीना ने कहा कि भारत पहला देश है जिसने 1952 में परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू किया. लगातार किये गये प्रयासों और नये व आधुनिक तरीके अपनाने के बावजूद हम अभी भी जनसंख्या स्थिरीकरण को हांसिल करने से कोसों दूर हैं. अब हम 1.27 अरब हैं, जो विश्व जनसंख्या की 17.5% है, और हमारी जनसँख्या लगातार बढ़ रही है. एक अनुमान के अनुसार 2050 तक यह बढ़कर 1.63 अरब हो जायेगी और भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन को भी पार कर जायेगा. इस बढ़ती आबादी के साथ हमारे सीमित संसाधनों पर अधिक भार पड़ रहा है और समाज में अशिक्षा, गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी बढ़ रही है. डीएलएचएस-3 के अनुसार हमारे देश में परिवार नियोजन की अपूरित आवश्यकता 21.3% है.

इस मौके पर महाप्रबंधक, सिप्सा बी के जैन ने बताया कि परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता भी अन्य मौजूदा कार्यक्रमों और प्लेटफार्मों जैसे शिक्षा, पंचायती राज, समेकित बाल विकास परियोजना, राष्ट्रीय सामाजिक सेवा, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, और ग्रामीण विकास आदि, पर प्रमुख रूप से निर्भर है. डिस्ट्रिक्ट वर्किंग ग्रुप ने पारस्परिक सहभागिता और समन्वय का एक अच्छा मॉडल प्रस्तुत किया है जो कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को बढ़ाने के लिए अति-आवश्यक और महत्वपुर्ण है. इस समूह के सदस्यों में सरकारी विभागों, गैर सरकारी संगठनों और सी.बी.ओ, कॉरपोरेट्स और अन्य स्थानीय हितधारकों के कुछ प्रमुख अधिकारी शामिल हैं, जिनके पास निर्णय लेने वालों से हिमायत करने और उन्हें प्रभावित करने की क्षमता है.

आज के कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के 12 जिलों में परिवार नियोजन सेवाओं को मजबूत करने के लिए जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को,  चिकित्सा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, सिफ्सा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पी.एफ.आई ) के साथ मिलकर सम्मानित किया गया. उनकी यह सफलता, डिस्ट्रिक्ट वर्किंग ग्रुप मॉडल के अंतर-क्षेत्रीय समन्वय पर आधारित है जो कि पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के द्वारा एडवांस फॅमिली प्लानिंग कार्यक्रम की सहायता से चलाया जा रहा है. सम्मानित अधिकारियों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक और क्षेत्र कार्यक्रम प्रबंधक भी शामिल थे.

पी.एफ.आई के द्वारा 2016 से ए.एफ.पी कार्यक्रम को लागू किया गया है, जिसकी सहायता से ८ जिलों के 190 स्वास्थ्य केन्द्रों पर पुरुष और महिला नसबंदी, और आईयूसीडी के लिए जिला और उप-जिला स्तर पर फिक्स्ड डे सर्विसेज की शुरूआत की गयी है. चार जिलों के 82 स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों को गुणवत्ता सेवाएं प्रदान करने के लिए मजबूत किया है, और विभिन्न सुविधा केन्द्रों पर 69 सेवा प्रदाताओं की क्षमता विकसित की है. इसी प्रकार लोगों तक सुविधाओं की पहुँच बढ़ाने के लिए 25,878 स्वास्थ्य कर्मियों को परिवार नियोजन पर प्रशिक्षित किया है.

मण्डल के कार्यक्रम प्रबन्धक  आगरा मण्डल में सिप्सा के कार्यक्रम प्रबन्धक ने बताया कि डिस्ट्रिक्ट वोर्किंग ग्रुप मॉडल की मदद से फिरोजाबाद में व्यावसायिक संगठन के साथ सहमति के उपरान्त संगठन ने पुरुष नसबन्दी को प्रोत्साहित करने के लिए तीन दिनों का सवेतन अवकास अपने कर्मचारियों के लिए घोषित किया.

इस अवसर पर पी.एफ.आई की  कार्यकारी निदेशक पूनम मुट्ठरेजा ने कहा कि ‘बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की लोगों तक पहुँच से राज्य में न केवल परिवार नियोजन संकेतकों में सुधार होगा,  बल्कि यह बड़े विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भी महत्वपूर्ण है. इस आशय से, डिस्ट्रिक्ट वर्किंग ग्रुप के तहत काम करने वाले सरकारी विभाग ने बेहतर सेवाओं की उपलब्धता के संदर्भ में स्पष्ट परिणाम दिखाए हैं, जो परिवार नियोजन की बढ़ी मांग में वृद्धि से स्पष्ट है.

इस समारोह में अन्य प्रमुख वक्ताओं में से कुछ थे: एन.एच.एम से डॉ इरफान, सिप्सा से डॉ अरुणा नारायण, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से डॉ उमाकांत,पी.एफ.आई से रत्ना खरे, एन.एच.एम के डॉ राजेश झा, निदेशक आई.सी.डी.एस, मिशन निदेशक पीआरआई, अन्य सहयोगी संस्थायें और 12 जिलों के स्वास्थ्य अधिकारी जहां पर ए.एफ.पी कार्यक्रम लागू किया जा रहा है.

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