-बीपी-शुगर की दवा समय से लें, दवा लेना भूलने वाले अपनायें ये टिप्स : सुनील यादव
सेहत टाइम्स
लखनऊ। जब हम किसी के बारे में जानते हैं तो उसका ध्यान रख सकते हैं, मामला शरीर के उस अंग का है,जो सदैव गतिमान रहता है इसे क्षण भर भी नहीं रुकना है, इसलिए दिल का ध्यान रखना सबसे जरूरी है ।
अच्छी जीवन शैली, नियमित व्यायाम, अच्छा खान-पान, नियमित चेकअप, अच्छा स्वास्थ्यवर्धक भोजन करके, शुगर और ब्लड प्रेशर को नॉर्मल रखकर, तनाव को दूर कर, तले भुने खाने और मोटापे से दूरी बनाकर दिल को स्वस्थ रखा जा सकता है।
विश्व हृदय दिवस पर एक वेबिनार को संबोधित करते हुए फार्मासिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष एवं स्टेट फार्मेसी काउंसिल के पूर्व चेयरमैन सुनील यादव ने कहा कि आज विश्व हृदय दिवस है। लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन द्वारा आज के दिवस की थीम “हृदय का प्रयोग करें, हृदय को जानें” रखी गई है श्री यादव ने बताया कि ब्लड प्रेशर और शुगर दोनों की दवाई लेने के लिए समय का निर्धारण आवश्यक है। मरीजों को समय पर दवा लेना सबसे जरूरी है, इसके लिए कुछ टिप्स जानना आवश्यक है ।
उन्होंने आम जनता को सलाह देते हुए कहा कि इन टिप्स को अपनाते हुए हम दवाओं को भूलने से बच सकते हैं, इसके लिए मरीज को चार बॉक्स बनाना होगा जो दवाई खाली पेट खानी है उसे एक बॉक्स में रखते हुए बॉक्स के ऊपर खाली पेट लिखना होगा, इसके साथ ही सुबह, दोपहर, शाम के तीन डिब्बे और बनाने होंगे, इसमें तीनों टाइम की दवाऐं अलग-अलग रखनी है, इसके अलावा कभी-कभी रात को सोते समय भी कुछ दवायें दी जाती हैं उन्हें अन्य दवाओं से अलग बॉक्स में बंद करके रखना होता है । सभी दवाओं को ऐसी जगह रखें जो बच्चों से दूर रहे, दवा पर सीधे सूरज की रोशनी ना पड़े, सीलन ना हो। इन्सुलिन को रेफ्रीजिरेटर में रखें, लगाने से थोड़ी देर पहले निकाल लें। समय से दवा लेने पर उसकी आवश्यक मात्रा शरीर में बनी रहेगी और यदि दवा समय के बाद या पहले ली जाती है तो कभी शरीर में मात्रा ज्यादा या कम हो सकती है, जो नुकसानदायक होता है।
हृदय रोगों से बचने के लिए शुगर और ब्लड प्रेशर को नियमित रूप से मॉनिटर करना चाहिए और इसे नियंत्रण में रखना चाहिए ऐसे सभी मरीजों को नियमित रूप से डॉक्टर और फार्मेसिस्ट के संपर्क में रहना चाहिए। अपने आप कभी दवा बंद नहीं करना चाहिए और ना ही डोज से छेड़छाड़ करना चाहिए।
WHO आंकड़ों के अनुसार हृदय संबंधी बीमारियाँ वैश्विक स्तर पर मृत्यु का सबसे आम कारण हैं। 2000 के दशक की शुरुआत में दुनिया भर में लगभग 17 मिलियन लोग प्रतिवर्ष हृदय रोगों से मरते थे। इनमें से अधिकांश मौतें कोरोनरी हृदय रोग या स्ट्रोक का परिणाम थीं। हालाँकि हृदय रोगों को अक्सर विकसित देशों में रहने वाले लोगों की बीमारी माना जाता है, जहाँ गतिहीन जीवन शैली आम है, लेकिन इन रोगों से होने वाली 80 प्रतिशत से अधिक मौतें निम्न और मध्यम आय वाले विकासशील देशों में होती हैं।
हृदय रोगों के प्राथमिक कारण
खराब आहार, व्यायाम की कमी और धूम्रपान मुख्य कारक माने जाते हैं। इस प्रकार, विकासशील देशों में भी, जहां अक्सर कुशल स्वास्थ्य का अभाव होता है, देखभाल जागरूकता कार्यक्रमों से इनमें से अधिकांश बीमारियों को रोका जा सकता है। हृदय रोगों का देशों के भीतर आर्थिक प्रभाव भी पड़ता है ।
विशेषज्ञों ने बताया कि अगर चलने में सांस फूलती हो, लगातार कमजोरी, चक्कर, तेज सिर दर्द, तेज धड़कन, एकाएक पसीना, सीने में दर्द, उल्टी आदि महसूस हो तो बिना देर किए चिकित्सक की सलाह लें, नियमित शुगर, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल की जांच कराएं। पैदल चलें और स्वस्थ रहें। वेबिनार में धन्यवाद ज्ञापन अशोक कुमार ने किया।