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अंतरराष्ट्रीय​ जिमनास्ट की सूनी आंखों में लौटी चमक, एसजीपीजीआई के ऑर्थोपेडिक सर्जन ने की जटिल लिगामेंट सर्जरी

-अभिनव दीक्षित की दो बार असफल रह चुकी एसीएल सर्जरी को तीसरी बार नयी टेक्निक से दिया अंजाम

पूर्व अंतरराष्ट्रीय जिमनास्ट अभिनव दीक्षित

सेहत टाइम्स

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई, लखनऊ के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ पुलक शर्मा ने अपने चिकित्सा कौशल से एक बड़ी सफलता हासिल की है। डॉ पुलक ने पूर्व अंतरराष्ट्रीय जिमनास्ट अभिनव दीक्षित की एसीएल (एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट) सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है, खास बात यह है कि अभिनव दीक्षित की पूर्व में दो बार यह सर्जरी हो चुकी थी, लेकिन दोनों ही बार असफल रही थी। तीसरी बार डॉ पुलक शर्मा द्वारा एक सप्ताह पूर्व की गयी सर्जरी के बाद अब मरीज ठीक है, और उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है।

जिमनास्ट के रूप में अभिनव की यात्रा असाधारण कौशल और समर्पण से चिह्नित थी, लेकिन वर्ष 2004 में उनके सपने लगभग चकनाचूर हो गए जब उन्हें जिमनास्टिक के दौरान घुटने में गंभीर चोट लगी, इसके बाद वर्ष 2005 में उन्होंने लिगामेंट सर्जरी करायी थी, इसके बाद इन्होंने अपने करियर पर फिर से फोकस करते हुए जिमनास्टिक शुरू की लेकिन दुर्भाग्यवश 2008 में पुन: उसी घुटने की इंजरी के शिकार हो गये, नतीजा वर्ष 2009 में फिर वही प्रक्रिया यानी दोबारा लिगामेंट सर्जरी की गयी। इसके बाद अपने करियर में थोड़ा सा बदलाव लाते हुए अभिनव जिमनास्टिक कोच की भूमिका में आ गये। लेकिन इंजरी ने अभिनव का पीछा नहीं छोड़ा और एक साल भी नहीं बीता था कि तीसरी बार घुटने में इंजरी हो गयी।

इसके बाद अभिनव बहुत परेशान रहने लगे, जो करियर उनका सपना था, उस सपने को उन्हें पूरा न कर पाने का दु:ख बार-बार सताता था। धीरे-धीरे समय निकलता गया, पिछले दिनों बहुत उम्मीदों के साथ एसजीपीजीआई में डॉ पुलक शर्मा के मुलाकात कर अभिनव ने अपनी व्यथा सुनायी और उनपर विश्वास जताते हुए ठीक करने को कहा। डॉ पुलक शर्मा बताते हैं कि तीसरी बार लिगामेंट की सर्जरी आसान नहीं होती है, विश्व में बमुश्किल 100 से कम केसेज ऐसे होंगे जिनकी तीसरी बार लिगामेंट सर्जरी की गयी हो। अभिनव की हिम्मत और चाहत देखते हुए डॉ पुलक ने एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा को बचाने के लिए तीसरी बार एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट सर्जरी करने का फैसला किया, डॉ. शर्मा ने जटिल ऑर्थोपेडिक मामलों में अपने अनुभव के साथ, अभिनव की स्थिति का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया और एक व्यापक उपचार योजना तैयार की। बोन टनल और ग्राफ्ट विकल्पों को सावधानीपूर्वक संबोधित किया जाना था। इस मुश्किल मामले को सुलझाने में डॉ. शर्मा का सावधानीपूर्वक दृष्टिकोण और अभिनव का दृढ़ संकल्प महत्वपूर्ण था। अभिनव की मांसपेशियों की ताकत को बहाल करना और संबंधित चोटों का प्रबंधन उसके पुनर्वास में महत्वपूर्ण कदम थे। इसके बाद इस जटिल प्रक्रिया की सावधानीपूर्वक योजना बनाई और उसे क्रियान्वित किया। एक प्रश्न के उत्तर में डॉ पुलक ने बताया कि पहले होने वाली लिगामेंट सर्जरी की अपेक्षा आजकल हो रही सर्जरी ज्यादा मजबूत है, इस सर्जरी में लिगामेंट को एक प्रकार के फाइबर टेप से कवर किया जाता है, जिससे उसकी मजबूती हड्डी से भी ज्यादा हो जाती है।

डॉ पुलक कहते हैं कि मुझे इस बात का संतोष है कि अभिनव की उस खेल में लौटने की उम्मीद बहाल हो गई जिसे वह प्यार करता था। इस सफल सर्जरी ने न केवल अभिनव की शारीरिक बीमारी को ठीक किया है, बल्कि जिमनास्टिक के प्रति उसके जुनून को भी फिर से जगाया है। अब वह एक उभरता हुआ कोच बनने की इच्छा रखता है, जो अपने अनुभव का भंडार साझा करेगा और अगली पीढ़ी के जिमनास्टों को प्रेरित करेगा। ज्ञात हो यह सर्जरी खेल से संबंधित चोटों के लिए विशेष दृष्टिकोण के महत्व और खेल चिकित्सा के क्षेत्र में नवीन तकनीकों की शक्ति को दर्शाती है। अभिनव की यात्रा इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि कैसे सही मार्गदर्शन और उपचार के साथ, सबसे जटिल आर्थोपेडिक मामलों में भी ठीक होने और नई उम्मीद की राह मिल सकती है।

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