-केजीएमयू में स्तन एवं सर्वाइकल कैंसर अवेयरनेस एंड चेकअप कार्यक्रम आयोजित

सेहत टाइम्स
लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रति कुलपति प्रो विनीत शर्मा ने कहा है कि ब्रेस्ट व सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में सबसे ज्यादा पाया जाने वाले कैंसर हैं, महिलाओं को अपने लिए स्वयं जागरूक रहना चाहिए। यदि वे अपने स्तन में किसी प्रकार का बदलाव या गांठ महसूस करती हैं तो तुरंत चिकित्सा विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए जिससे कि स्तन कैंसर के पहले चरण में ही उसका इलाज किया जा सके।
प्रो विनीत शर्मा ने यह सलाह केजीएमयू के महिला अध्ययन केंद्र द्वारा स्तन एवं सर्वाइकल कैंसर अवेयरनेस एंड चेकअप कार्यक्रम के आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में दिए अपने संबोधन में दी। अवेयरनेस एवं चेकअप कार्यक्रम केजीएमयू की नर्सिंग स्टाफ एवं कर्मचारियों के लिए आयोजित किया गया। इसमें 200 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। महिला अध्ययन केंद्र की इंचार्ज प्रो पुनीता मानिक और डॉ गीतिका नंदा सिंह के द्वारा शल्य चिकित्सा विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो अभिनव अरुण सोनकर, डॉ अक्षय आनंद एवं डॉ कुशाग्र गौरव के सहयोग से किया गया।
कार्यक्रम में शामिल हुईं सभी महिलाओं को ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के बारे में जागरूक किया गया इस कार्यक्रम में सह अधिष्ठाता एकेडमिक प्रोफेसर विमला वेंकटेश, प्रोफ़ेसर पुनीता मानिक, डॉ पूजा रमाकांत एवं डॉ मंजू लता वर्मा के साथ ही कई अन्य चिकित्सक भी शामिल हुए।
संस्थान के स्त्री एवं प्रसूति विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मंजू लता वर्मा ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर को विकसित होने में 10 से 15 साल का समय लग जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए 9 से 15 साल की उम्र में लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए।

कार्यक्रम में महिला अध्ययन केंद्र की सदस्य एवं शल्य चिकित्सा विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉ गीतिका नंदा सिंह ने बताया कि यदि किसी महिला में माहवारी की अनियमितता, निप्पल से खून का डिस्चार्ज या मटमैले रंग का कोई डिस्चार्ज होता है तो तुरंत चिकित्सा विशेषज्ञों से संपर्क करना चाहिए। उन्होंने स्तन कैंसर से बचाव के लिए 40 वर्ष से अधिक की सभी महिलाओं को साल में एक बार मैमोग्राफी टेस्ट कराने की सलाह देते हुए कहा कि समय-समय पर स्क्रीनिंग कराते रहना चाहिए।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में महिला अध्ययन केंद्र की सदस्य डॉ रामेश्वरी, प्रो शिवांजलि रघुवंशी और डॉ निशा मणि ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विशेषज्ञों द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित विश्वविद्यालय की सभी नर्सिंग एवं तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की महिला कर्मियों की जांच भी की गई, साथ ही उन्हें स्तन के स्व परीक्षण के बारे में जानकारी दी गई, जिससे कि भविष्य में वह स्वयं अपने स्तन का परीक्षण कर सकें साथ ही दूसरों को भी स्वयं स्तन परीक्षण करना सिखा सकें। कार्यक्रम को सफल बनाने में वर्तिका सैनी व अन्य कर्मचारियों का भी विशेष योगदान रहा।

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