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स्‍तन में अगर गांठ है तो भयभीत न हों, हर गांठ निकलवाने की आवश्‍यकता नहीं होती

नॉन कैंसरस गांठों के बारे में आयोजित व्‍याख्‍यान में दी गयी विस्‍तृत जानकारी

लखनऊ। यदि आप के स्‍तन में गांठ है तो इसमें घबराने की कोई बात नहीं है, क्‍योंकि बहुत सी गांठें ऐसी होती हैं, जिन्‍हें निकलवाने की जरूरत नहीं होती है। हां जागरूकता जरूरी है, जांच जरूरी है, इसलिए डॉक्‍टर को अवश्‍य दिखा लें।

 

यह बात डॉ बीसी रॉय पुरस्‍कार प्राप्‍त हैदराबाद से आये डॉ पी रघुराम में आज यहां लखनऊ कॉलेज ऑफ सर्जन्‍स और किंग जॉर्ज चिकित्‍सा वि‍श्‍व विद्यालय (केजीएमयू) के संयुक्‍त तत्‍वावधान में स्‍तन रोग पर बिनाइन ब्रेस्‍ट डिजीज विषय पर व्‍याख्‍यान दिया। उन्‍होंने बताया कि स्‍तन की कुछ गांठें ऐसी होती हैं जो कैंसरयुक्‍त नहीं होती हैं, इस‍लिए उसके इलाज के लिए ऑपरेशन की जरूरत नहीं होती है।

डॉ रघुराम ने कहा कि 20 वर्ष से 30 वर्ष की आयु वाली कई महिलाओं के स्‍तन में फाइब्रो एडीनोमा (एक प्रकार की गांठ) पड़ जाती है। उन्‍होंने बताया कि मेमोग्राफी से इस गांठ की जांच कर ली जाती है कि गांठ कैंसरयुक्‍त तो नहीं है? यदि गांठ कैंसरयुक्‍त नहीं है तो इसे निकालने की जरूरत नहीं है, क्‍योंकि ऐसी गांठों में भविष्‍य में भी कैंसर बनने की संभावना नहीं होती है। ऐसे केस में सिर्फ मरीज की काउंसलिंग की जाती है।

 

यदि स्‍तन में दर्द हो तो कोई दवा की जरूरत नहीं

 

डॉ रघुराम ने बताया कि इसी प्रकार का एक रोग होता है मैसटेलजिया। इसमें स्‍तनों में दर्द होता है। उन्‍होंने बताया कि इसमें घबराने की बात नहीं है। दरअसल यह हारमोनल प्राब्‍लम होती है। जैसे कि वायरल फीवर होता है, अपने आप ठीक हो जाता है, यह दिक्‍कत भी अपने आप ठीक हो जाती है। उन्‍होंने बताया कि जबकि होता यह है कि इसमें लोग कहते हैं कि कॉफी न पियो, विटामिन ई खाओ, बहुत सारी दवाएं चिकित्‍सक दे देते हैं। उन्‍होंने कहा कि इन सबकी कोई जरूरत नहीं है। चिकित्‍सकों को भी चाहिये कि बिना वजह कोई दवा न दें, मरीजों का पैसा बर्बाद करने की आवश्‍यकता नहीं है।

गांठ में अगर ब्‍लड न हो

उन्‍होंने बताया कि यदि आपको स्‍तन में सिस्‍ट या गांठ महसूस होती है और अगर गांठ में पानी है तो उसे सुई से चुभो कर देखा और अगर उसमें ब्‍लड नही आया या सुई में लालपन नहीं लगा है तो उसमें कुछ भी करने की जरूरत नहीं है, यदि ब्‍लड आया है तो उसकी आगे जांच करायें।

स्‍तनपान कराने वाली महिलाओं को फोड़ा हो तो

डॉ रघुराम ने बताया कि कुछ महिलाएं जो स्‍तनपान कराती हैं उनके अगर स्‍तन में फोड़ा हो जाता है तो बहुत से चिकित्‍सक महिला को दूध न बनने वाली दवा लिख देते हैं और ठंडे पानी की सिकाई करवा देते हैं। उन्‍होंने कहा कि इस प्रकार की स्थिति में ठंडी सिकाई करने की जरूरत नहीं है, गर्म सिकाई करनी चाहिये और इसमें चीरा लगाने की जरूरत नहीं है, बल्कि सुई लगाकर तीन-चार बार मवाद निकाल देना चाहिये। इससे महिला को कोई निशान नहीं बनेगा और वह ठीक भी हो जायेगी।

मेमोग्राफी कराने से घबराने की जरूरत नहीं

डॉ रघुराम ने बताया कि बहुत सी महिलाओं को मेमोग्राफी को लेकर भय रहता है कि दर्द होगा, या भ्रम रहता है कि मेमोग्राफी कराने से एक्‍स रे की किरणों का एक्‍सपोजर होगा जिससे भविष्‍य में खतरा होगा, यह सब गलत है। उन्‍होंने कहा कि मेमोग्राफी करानी चाहिये। उन्‍होने कहा कि और अगर यह प्रूव हो जाये कि बीमारी कैंसरयुक्‍त नहीं है तो उसमें बहुत दवाओं की जरूरत नहीं है। ऐसी स्थिति में मरीज की काउंसलिंग कर देनी चाहिये, उसे समझा देना चाहिये कि आपको फालतू दवायें खाने की जरूरत नहीं है।

 

इस मौके पर केजीएमयू के डॉ विनोद जैन ने बताया कि आज की तारीख में महिलाओं में सबसे ज्‍यादा कॉमन ब्रेस्‍ट कैंसर है लेकिन हर गांठ कैंसरयुक्‍त नहीं होती है, इसकी वजह से महिलाओं को तनाव में नहीं आना चाहिये और बिना किसी डर, शर्म और झिझक के इसकी समुचित जांच करवानी चाहिये और डॉक्‍टर से सलाह लेनी चाहिये।

इस मौके पर पूर्व विभागाध्‍यक्ष जनरल सर्जरी विभाग डॉ रमाकांत सहित अनेक चिकित्‍सक व अन्‍य लोग उपस्थित रहे।

 

 

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