-सीएनएस हॉस्पिटल के डॉक्टरों के अथक प्रयासों से मरीज में आयी जान
-एक माह से ज्यादा भर्ती रहने के बाद अब मरीज की छुट्टी की जा रही

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। करीब एक माह पहले चर्चा में आये मरीज फुरकान की तबीयत अब काफी बेहतर है, अब उसे अस्पताल से छुट्टी मिल रही है। आपको बता दें यह वही मरीज फुरकान है जिसके बारे में खबर आयी थी कि निजी अस्पताल में जिसे मृत बता दिया गया था, उसके बाद घर पहुंचने पर उसकी सांस तेज-तेज चलने लगी थी। इस घटना के बाद टीवी चैनल से लेकर अखबारों तक में इस कांड की जोरदार चर्चा हुई थी।
इंदिरा नगर के गाजीपुर गांव का रहने वाला फोटोग्राफर फुरकान बीती 22 जून को एक विवाह कार्यक्रम से वीडियो शूट करके लौट रहा था, लौटते समय वह सड़क दुर्घटना का शिकार होकर गंभीर रूप से घायल हो गया था। फुरकान को तुरंत ही निराला नगर स्थित इंडियन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। बताया गया था कि 1 जुलाई की सुबह जब फुरकान को मृत जानकर घर वापस लाये और उसके अंतिम संस्कार की तैयारियां होनी शुरू हो गयीं थी, कि अचानक फुरकान के शरीर में हरकत हुई।
परिजनों के अनुसार इसके बाद तुरंत फुरकान को लोहिया इंस्टीट्यूट ले जाया गया, जहां कहा गया कि यहां इसका इलाज नहीं हो पायेगा इसे किसी प्राइवेट अस्पताल ले जाओ। इसके बाद फुरकान को इंदिरा नगर स्थित सीएनएस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया जहां पर उसका इलाज न्यूरो सर्जन डॉ अशोक निराला ने शुरू किया था। तब से फुरकान सीएनएस हॉस्पिटल में ही भर्ती रहा।
फुरकान अब अपनी आंखें खोलता है देखें वीडियो
परिजनों के अनुसार इस बीच एक दिन सीएमओ कार्यालय के संदर्भ से से उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने के उद्देश्य से परिजन यहां से ले भी गये थे लेकिन निराशा ही हाथ लगी और अंत में फिर से वापस उसे सीएनएस अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। पिछले कई दिनों से उसे वेंटीलेटर से हटाया जा चुका है,
फुरकान का इलाज करने वाले डॉ अशोक निराला ने ‘सेहत टाइम्स’ को बताया कि फुरकान की हालत अब ठीक है और उसके घरवालों को उसे घर ले जाने की सलाह दी गयी है। उसके परिजनों से जब बात की गयी तो उन्होंने बताया कि डॉक्टर साहब ने कहा है कि अब आगे का इलाज इसका घर पर भी हो सकता है, इसे घर ले जाइये।
घरवालों से बातचीत के बाद जानकारी में यह आया है कि मरीज ने इलाज में अब तक लाखों रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन अस्पताल द्वारा काफी भुगतान छोड़ने के बाद भी मरीज के इलाज का खर्च उठाने में घरवाले अपने को असमर्थ पा रहे हैं। चूंकि प्राइवेट अस्पताल में एक दिन के इलाज पर ही काफी खर्च आता है, और मरीज की स्थिति भी खतरे से बाहर है, वह आंखें खोल रहा है, और उसे अभी लम्बे समय तक इलाज की जरूरत है, इसीलिए डॉक्टर ने यह सलाह दी है कि आगे का इलाज में केवल दवाइयां ही दी जानी हैं, इसलिए इलाज घर पर भी हो सकता है।
 
 

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