-इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल सांइसेस में वांग्मय साहित्य की स्थापना
-विचार, क्रांति, ज्ञान यज्ञ अभियान के अंतर्गत 329वां सेट स्थापित

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। गायत्री ज्ञान मंदिर, लखनऊ के विचार, क्रांति, ज्ञान यज्ञ अभियान के अंतर्गत किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल सांइसेस के केंद्रीय पुस्तकालय में गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पं0 राम शर्मा आचार्य द्वारा रचित सम्पूर्ण 79 खण्डों का वांग्मय साहित्य को स्थापित किया गया। यह वांग्मय साहित्य गायत्री परिवार रचनात्मक ट्रस्ट, गायत्री मंदिर की सक्रिय कार्यकर्ता ऊषा सिंह ने लोक कल्याण के लिए ज्ञानदान के रूप में संस्थान के पुस्तकालय को भेंट किया।

इस अवसर पर कार्यक्रम के अतिथि वक्ता एवं सिडबी बैंक के पूर्व डीजीएम पीडी सारस्वत ने पावर प्वॉइंट प्रेजेंटेशन (पीपीटी) के माध्यम से भारत के दस हजार वर्षों के आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने “Knowledge is the Key of success in Life” विषय पर व्याख्यान दिया। इस अवसर पर उन्होंने चिकित्सकों, कर्मचारीगणों एवं विद्यार्थियों से अच्छे पुत्र-पुत्री, माता-पिता, पति-पत्नी एवं नागरिक बनने की अपील की। इसके साथ ही उन्होंने जीवन में सफल बनने के लिए मन को शांत तथा संयमित रखने की विधि पर चर्चा करते हुए बताया कि लोभ, मोह, अहंकार और संकीर्णता से दूर रहकर जीवन को सफल एवं स्वयं के चरित्र को ऊपर उठाया जा सकता है।

उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि सही समय पर सही कार्य के द्वारा ही सफल हुआ जा सकता है और विद्यार्थी जीवन अध्ययन के लिए ही बना है और इस समय का सदुपयोग करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने सफल जीवन के चार सूत्र पर चर्चा करते हुए बताया कि स्वास्थ्य, समय, तनाव और संसाधन प्रबंधन (हेल्थ मैनेजमेंट, टाइम मैनेजमेंट, स्ट्रेस मैनेजमेंट और रिसोर्स मैनेजमेंट) के माध्यम से ही स्वस्थ शरीर एवं सफल जीवन को प्राप्त किया जा सकता है। इस अवसर पर उदय भान सिंह भदौरिया ने सभी विद्यार्थियों को पॉकेट बुक ‘सफल जीवन की दिशा धारा’ तथा उमानंद शर्मा द्वारा चिकित्सकों को ‘अखण्ड ज्योति’ पत्रिका भेंट की गई। अभियान के मुख्य संयोजक उमानंद शर्मा ने बताया कि गायत्री ज्ञान मंदिर, लखनऊ के विचार, क्रांति, ज्ञान यज्ञ अभियान के अंतर्गत स्थापित किया जाने वाला यह 329वां सेट है।

कार्यक्रम में डॉ नरेन्द्र देव ने विद्याथियों को निरोगी जीवन के ऋषि सूत्र देते हुए बताया कि भोजन पालथी लगाकर करना चाहिए, भोजन कौर को नियत संख्या में कम से कम 24 बार चबाना चाहिए, भोजनकाल से आधे घण्टे पहले तथा भोजन के बाद एक घण्टे तक पानी नहीं पीना चाहिए तथा यदि रूखा भोजन करते समय, मध्यकाल में दो से ढाई घूंट पानी अवश्य पीएं।
इस अवसर पर मुख्य रूप से अधिष्ठाता, इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल डॉ विनोद जैन, दुर्गा गिरि, विकास मिश्रा सहित अन्य पैरामेडिकल कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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