
लखनऊ। पूर्व निदेशक वल्लभभाई पटेल चेस्ट संस्थान दिल्ली व केजीएमयू में विभागाध्यक्ष रह चुके तथा वर्तमान में एराज लखनऊ मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल मे पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो राजेन्द्र प्रसाद ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि सही ढंग से इलाज न होने के कारण सामान्य तथा मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट वाले टीबी के मरीजों की मौत हो रही है। पिछले साल विश्व में 18 लाख तथा भारत में 4 लाख टीबी के मरीजों की मौत का कारण यही है। उन्होंने कहा कि जब टीबी 100 फीसदी उपचारीय है और सरकार की ओर से इसके फ्री इलाज की सुविधा है तो फिर इतनी बड़ी संख्या में मौत होने का कारण गलत इलाज की ओर ही इशारा कर रही है।
एमडीआर के 65 फीसदी मरीजों की जानकारी न होना चिंता का विषय
डॉ प्रसाद एराज मेडिकल कॉलेज में विश्व टीबी दिवस पर आज आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे, इस कार्यक्रम में लगभग 150 मरीज और तीमारदारों ने भाग लिया। प्रो. राजेन्द्र प्रसाद ने एमडीआर एवं एक्सडीआर टीबी के बारे मे बताते हुए उन्होनें कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अनुमानित तौर पर 5,80,000 एमडीआर टीबी के मरीज विश्व मेें सामने आए, इसमें भारत में लगभग 1,30,000 हैं, इनमें से 79000 मरीज एमडीआर टीबी के होने चाहिये। उन्होंने बताया कि अब सरकार द्वारा चलाये जा रहे टीबी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत नॉटिफाइड केसेज में आये एमडीआर टीबी मरीजों मेे 36 प्रतिशत जांच से पहचाने गए और 34 प्रतिशत का उपचार प्रारम्भ हुआ। उन्होंने कहा कि चिंता की बात यह है कि शेष 65 प्रतिशत एमडीआर टीबी के मरीज टीबी कंट्रोल प्रोग्राम मे नहीं आ रहे हैं। प्रोग्राम के बाहर उनका उपचार किस प्रकार हो रहा है इसका कोई ज्ञान नहीं है।
उन्होंने जोर देकर कहा की सरकार बेहद कीमती दवाइयां एमडीआर एवं एक्सडीआर टीबी के मरीजों को मुपत मुहैया करा रही है जिसका मरीजों को लाभ उठाना चाहिए जिससे इस बीमारी के कारण असमय मौत से बचा जा सकता है और देश इस रोग से मुक्त हो सकता है। इस अवसर पर डॉ. सौरभ करमाकर असिस्टेन्ट प्रोफेसर, डॉ. अभिषेक अग्रवाल, असिसटेन्ट प्रोफेसर, डॉ. आनन्द वर्मा, सीनियर मेडिकल अधिकारी एवं सभी जूनियर डॉक्टर उपस्थित रहे।

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