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कर्मचारियों के लिए निराशाजनक, औषधि रिसर्च क्षेत्र को बढ़ावा देना स्‍वागतयोग्‍य

उत्‍तर प्रदेश सरकार के वित्‍तीय 2023-24 के लिए पेश बजट पर प्रतिक्रिया

सुनील यादव

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। फार्मेसिस्‍ट फेडरेशन के अध्‍यक्ष व पूर्व चेयरमैन स्‍टेट फार्मेसी काउंसिल उत्‍तर प्रदेश सुनील यादव ने उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा आज विधान भवन में पेश किये गये वित्‍तीय वर्ष 2023-24 के बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार का बजट कर्मचारी हित के मामले में निराशाजनक है, पूरे बजट में कर्मचारियों के हितों की कोई घोषणा नहीं है। औषधि रिसर्च की दिशा में अच्छा कदम है, बजट का यह बिंदु स्वागत योग्य है।

सुनील यादव का कहना है कि बजट में हालांकि खाद्य एवं औषधि विभाग के 14 मंडलीय कार्यालयों एवं प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए 200 करोड़ की धनराशि दी गई है, जो बहुत ही आवश्यक थी, यह कदम स्वागत योग्य है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट  की स्थापना के लिए 20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जो औषधि रिसर्च की दिशा में अच्छा कदम है, बजट का यह बिंदु स्वागत योग्य है।

पुरानी पेंशन की घोषणा नहीं की गई, संविदा प्रथा और ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने के स्थान पर बढ़ावा दिया जा रहा है, स्थाई रोजगार सृजन ना होने से तकनीकी योग्यता धारक लोगों को अल्प वेतन और भविष्य की असुरक्षा के बीच कार्य करना पड़ रहा है।

उन्‍होंने कहा कि हालांकि खाद्य एवं औषधि विभाग के 14 मंडलीय कार्यालयों एवं प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए 200 करोड़ की धनराशि दी गई है, जो बहुत ही आवश्यक थी, यह कदम स्वागत योग्य है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट  की स्थापना के लिए 20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जो औषधि रिसर्च की दिशा में अच्छा कदम है, बजट का यह बिंदु स्वागत योग्य है।

उन्‍होंने कहा कि बजट में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के सुदृढ़ीकरण के लिए आवंटित धनराशि बहुत कम है साथ ही औषधियों के लिए बजट और ज्यादा बढ़ाया जाना चाहिए था।

प्रदेश में फार्मेसी क्षेत्र में अपर संभावनाएं हैं, तकनीकी रूप से श्रेष्ठ मानव संसाधन फार्मेसिस्ट उपलब्ध हैं,  अतः प्रदेश को फार्मा हब के रूप में विकसित किया जाना चाहिए तथा औषधि रिसर्च, निर्माण, औषधि व्यापार, चिकित्सालयों में फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता के साथ चिकित्सालयों में फार्माकोविजिलेंस की घोषणा आवश्यक थी जिस पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया जाएगा।

उन्‍होंने कहा है कि इसी प्रकार बजट में मेडिकल कॉलेज बनाए जाने की घोषणा तो की गई है लेकिन जनता को निःशुल्क औषधियां, निशुल्क इलाज और सुविधाएं जो पूर्व से उपलब्ध हो रहीं थीं, उसके बारे में कोई योजना नहीं बताई गई है। इसके साथ ही कर्मचारियों के पदों को समाप्त करने के स्थान पर उन्हें प्रतिनियुक्ति पर रखे जाने की मांग लगातार की जा रही थी और आशा थी कि इस बजट सत्र में इसकी घोषणा की जाएगी, जो कि नहीं हुई। पीपीपी मॉडल पर जो मेडिकल कॉलेज बनाए जा रहे हैं उनमें भी स्थाई रोजगार की घोषणा नहीं है जो कि कर्मचारी हितों के प्रतिकूल है। 

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