-सांस लेने में कठिनाई की शिकायत लेकर पहुंची थी मेदांता अस्पताल
-यूपी सरकार ने आर्थिक और मेदांता अस्पताल ने चिकित्सा की राह करी आसान
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। कोविड काल, एडवांस स्टेज ऑफ मल्टीवॉल्वुलर हार्ट डिजीज बीमारी के चलते इमरजेंसी की स्थिति और मरीज की आर्थिक स्थिति भी कमजोर, ऐसे में जीवन बचाना किसी कठिन चुनौती से कम नहीं था, लेकिन कहते हैं कि ऊपर वाले की कृपा हो तो सारे रास्ते आसान होते चले जाते हैं, ऐसा ही हुआ 23 वर्षीय युवती के साथ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दी गयी वित्तीय सहायता ने जहां आर्थिक संकट हल किया वहीं मेदांता अस्पताल में चिकित्सकों की टीम द्वारा कोविड काल में पूरी सावधानी से प्रोटोकाल का पालन करते हुए बेहतरीन टिश्यू वॉल्व बायोप्रोस्टेसिस के साथ युवती की डबल वॉल्व रिप्लेसमेंट की हाईरिस्क सर्जरी सफलतापूर्वक की गयी।
यह जानकारी देते हुए मेदांता अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ राकेश कपूर ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान कार्डिएक सर्जरी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है क्योंकि कार्डिएक सर्जरी के लिए व्यापक प्री ऑपरेटिव, पोस्ट ऑपरेटिव देखभाल और एनेस्थीसिया स्टाफ, आईसीयू बेड, ब्लड प्रोडक्ट्स, वेंटिलेटर सहित संसाधनों की आवश्यकता होती है जो कोविड-19 रोगियों की देखभाल के लिए अत्यधिक ज़रूरी है, लेकिन इमरजेंसी को टाला नहीं जा सकता था। उन्होंने बताया कि हालांकि इलेक्टिव कार्डियक सर्जरी को स्थगित कर दिया गया है, लेकिन अत्यावश्यक देखभाल और सुरक्षा के साथ तत्काल और आपातकालीन प्रोसीजर्स किये जा रहे हैं।
युवती के बारे में उन्होंने बताया कि 23 साल की युवा महिला को सांस लेने में काफी कठिनाई की शिकायत थी, इसी के अंतर्गत वे हमारे लखनऊ स्थित हॉस्पिटल में दिखाने के लिए आई। उनकी जांच के दौरान पाया गया कि गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त फेफड़े और दाएं वेंट्रिकल (प्रेशर 122, सामान्य 15-25) के साथ एडवांस्ड स्टेज ऑफ़ मल्टीवाल्वुलर हार्ट डिजीज से पीड़ित है। हाई रिस्क के कारण उन्हें जल्द ही डबल वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी की सलाह दी गयी। उनका परिवार गरीब था इसीलिए पैसों के अभाव के कारण, उन्होंने यूपी सरकार से वित्तीय मदद मांगी और मुख्यमंत्री ने तुरंत उसकी सर्जरी के लिए पूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान कराई। मेदांता हॉस्पिटल, लखनऊ के डायरेक्टर सीटीवीएस प्रोफेसर डॉ गौरांगा मजूमदार के नेतृत्व में यह हाई रिस्क ऑपरेशन सफल रहा।बेहतरीन टिश्यू वॉल्व बायोप्रोस्टेसिस के साथ उनकी डबल वॅल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी सफल रही, जिसके अंतर्गत अब उन्हें आजीवन ब्लड थिनर मेडिकेशन की भी कोई आवश्यकता नहीं पड़ेगी और अब वह पूर्ण रूप से स्थिर स्थिति में अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुकी हैं।
डॉ मजूमदार ने बताया कि मैकेनिकल वॉल्व के लिए आजीवन एंटीकोआग्यूलेशन थेरेपी की आवश्यकता होती है जो आगे चल कर युवतियों में अत्यधिक मासिक रक्तस्राव, गर्भावस्था और प्रसव के दौरान परेशानी खड़ी कर सकती है और नवजात शिशु में बर्थ डिफेक्ट्स के लक्षण को भी बढ़ावा देती है। उन्होंने बताया कि चूंकि यह सर्जरी टिशू वॉल्व के साथ की गयी है, इसलिए उसे एंटीकोग्यूलेशन थेरेपी की आवश्यकता नहीं होगी और भविष्य में अपने परिवार को पूरा कर सकती है।
इस हाई रिस्क ऑपरेशन में डॉ कपूर ने जहां प्रोत्साहित किया वहीं डॉ गौरांगा मजूमदार के साथ उनकी टीम के सदस्यों के रूप में डॉ शशांक, डॉ मोजाहिद, डॉ राहुल, डॉ बिस्वरूप, डॉ पल्लवी के अलावा राजीव पामू, जानी ने सभी ओटी/ आईसीयू/ वार्ड स्टाफ नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ-साथ क्लीनिकल परफ्यूशन में मदद की। चिकित्सा निदेशक प्रो राकेश कपूर इस रोगी की देखभाल में एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन और प्रेरणा का एक निरंतर स्रोत बने रहे।