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डाईइथाइल ग्लाइकॉल का अपमिश्रण होने से जानलेवा बन गये कफ सिरप

-खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने औषधि निरीक्षकों को जारी किये विस्तृत दिशा-निर्देश

डॉ रोशन जैकब

सेहत टाइम्स

लखनऊ। विगत दिनों विभिन्न समाचार माध्यमों एवं अन्य स्रोतों से देश के कुछ राज्यों में कफ सीरप के सेवन से बच्चों पर जानलेवा दुष्प्रभाव की सूचना के क्रम में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की आयुक्त डॉ रोशन जैकब ने भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी किये है।

यहां 7 अक्टूबर, 2025 को जारी पत्र में प्रदेश के सभी औषधि निरीक्षकों को दिशा निर्देश देते हुए कहा गया है कि विभिन्न औषधि फार्मूलेशन में सक्रिय अवयव के अलावा अन्य घटकों का भी प्रयोग किया जाता है, जिनमें अपमिश्रण होने के कारण भी संबंधित औषधि हानिकारक हो सकती है। कफ सिरप के वर्तमान घटनाक्रम एवं पूर्व में की गयी जॉच से यह प्रकाश में आया है कि डाईइथाइल ग्लाइकॉल (Diethyl Glycol-DEG) का अपमिश्रण होने के कफ सीरप जानलेवा हुए।

उन्होंने कहा है कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए दिये गये निर्देशों में गया है कि
क. कफ सीरप में प्रयुक्त सक्रिय तत्व (Active Ingredient) औषधि नियमावली, 1945 के अनुसूची-एच/अनुसूची-एच1 से आच्छादित हैं जिनका विक्रय/वितरण मरीजों को चिकित्सक के परामर्शानुसार ही किया जाना चाहिए। इस आशय का व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए यह सुनिश्चित किया जाये कि औषधि विक्रेताओं द्वारा कफ सीरप की बिक्री चिकित्सक की परामर्शानुसार ही किया जा रहा है।

ख. निर्माणशालाओं का नियमित निरीक्षण करते समय औषधियों के फार्मूलेशन में प्रयुक्त प्रमुख Excipients के भी नमूनों को संकलित करके परीक्षण कराया जाए तथा उनके क्रय अभिलेखों की इस आशय से परीक्षण किया जाए कि निर्माता फर्म द्वारा Excipients को वैध स्रोत से प्राप्त किया जा रहा है तथा सभी Excipients मानक स्तर के हैं। ग. समय-समय पर नियमित रुप से लिक्विड ओरल औषधियों के नमूनों में यथावश्यक डाईइथाइल ग्लाइकॉल (Diethyl Glycol-DEG) के अपमिश्रण की जांच करायी जाए तथा अपमिश्रण पाये जाने की दशा में दोषी व्यक्तियों/फर्मों के विरुद्ध अभियोजन की कार्यवाही की जाए।

इसके अलावा किसी व्यक्ति अथवा फर्म द्वारा औषधियों में मिलावट अथवा छल पूर्वक, छद्म नाम, पता से औषधियों का विनिर्माण, विक्रय आदि किया जाता है, तो यह भारतीय न्याय संहिता, 2023 व अन्य विधि के अन्तर्गत कारित अपराध की श्रेणी से भी आच्छादित हो सकता है। ऐसी परिस्थिति में यथावश्यक पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट भी दर्ज करायी जाये।

एक और निर्देश में कहा गया है कि औषधियों का प्रभाव उनके अवसान तिथि (Expiry Date) तक होता है तथा औषधि का पैकेज खुलने के उपरांत उसके जल्द खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में समाचार माध्यमों एवं सोशल मीडिया के माध्यम से जनमानस में इस आशय का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए कि खांसी-बुखार जैसे सामान्य प्रतीत होने वाले रोगों के संबंध में घर में रखी हुई पुरानी औषधियों का उपयोग न करें, बल्कि चिकित्सक के परामर्शानुसार वैध मेडिकल स्टोर से औषधि लेकर उपयोग करें।

निर्देशों में कहा गया है कि आम जनमानस में इस आशय का भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए कि औषधियों को वैध मेडिकल स्टोर से ही क्रय करें तथा क्रय की गयी औषधि का बीजक (Purchase Bill) अवश्य प्राप्त करें। क्रय बीजक पर अंकित औषधि के बैच नंबर व अवसान तिथि (Expiry Date) का मिलान औषधि के लेवल पर अंकित बैच नंबर व अवसान तिथि (Expiry Date) से कर लें तथा भिन्नता पाये जाने पर उक्त औषधि को न लें।

इसके अलावा औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों, अस्पतालों/चिकित्सालयों व विनिर्माणशालाओं का नियमित निरीक्षण करते समय उपरोक्त दिशा-निर्देशों के साथ-साथ औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 व तत्संबंधी नियमावलियों के प्रावधानों का अनुपालन किया जाना सुनिश्चित किया जाए।

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