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सिर्फ जोड़ों पर ही नहीं, पूरे जीवन पर पड़ता है आर्थराइटिस का असर

-विश्‍व आर्थराइटिस दिवस पर साइकिलथॉन, विंटेज कार रैली, जुम्बा एवं योग का हुआ आयोजन

-आर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ लखनऊ ने विभिन्‍न कार्यक्रमों के माध्‍यम से पैदा की जागरूकता

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। प्रत्‍यक्ष में आर्थराइटिस प्रमुख रूप से शरीर के जोड़ों पर असर करता है, लेकिन परोक्ष रूप से इसका प्रभाव व्यक्ति के पूरे जीवन पर पड़ जाता है। व्‍यायाम से न सिर्फ आर्थराइटिस बल्कि कई प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है।

यह सलाह विश्‍व आर्थराइटिस दिवस पर आर्थराइटिस के प्रति जागरूकता बढ़ने के उद्देश्य से आर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ लखनऊ के द्वारा आयोजित किये गये कार्यक्रम में फाउंडेशन के सचिव डॉ. संदीप कपूर व अध्‍यक्ष डॉ. संदीप गर्ग ने दी। फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में साइकिल रैली, विन्‍टेज कार रैली, योग व जुम्‍बा डान्‍स का आयोजन किया गया था। उन्‍होंने बताया कि मंगलवार को प्रातः6 बजे से ही गोमती नगर स्थित हेल्थसिटी हॉस्पिटल प्रांगण में साइकिलिस्ट और योग करने वाले लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया। साइकिल रैली और विन्‍टेज कार रैली हेल्‍थसिटी हॉस्पिटल से प्रारम्‍भ होकर जनेश्‍वर मिश्र पार्क तक गयी। सभी कार्यक्रमों में सोशल डिस्टन्सिंग एवं कोविड प्रोटोकॉल का विशेष ध्यान रखा गया।

डॉ कपूर ने जनेश्‍वर मिश्र पार्क में उपस्थित लोगों को सम्‍बोधित करते हुए बताया कि आर्थराइटिस एक महामारी की तरह बढ़ रही है और कोई भी व्यक्ति इससे अकेले नहीं लड़ सकता। इसी बात को संज्ञान में रखते हुए वर्ष 2010 में आर्थराइटिस फाउंडेशन की स्थापना की गई थी। फाउंडेशन के तत्वावधान में अब तक अनगिनत जागरूकता कार्यक्रम और अन्य कार्यक्रम चलाए गए हैं। डॉ कपूर ने कहा कि समाज में हर व्यक्ति को जितना उसने समाज से लिया है उस से ज्यादा वापस देना चाहिए। फाउंडेशन के माध्यम से कई मरीजों का मुफ्त इलाज भी किया जाता है जिसमे जोड़ बदलने जैसी सर्जरी भी शामिल हैं।

डॉ. कपूर ने बताया कि लखनऊ में लगभग 5 लाख से अधिक व्यक्ति आर्थराइटिस से प्रभावित हैं। भारत में यह संख्या 10 करोड़ है। डॉ. संदीप गर्ग ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार 10 दस में से साथ व्यक्ति आर्थराइटिस से परेशान होते हैं। यह जोड़ों से सम्बन्धित एक जैसी स्वास्थ्य से परेशान होते हैं। बीमारी से ग्रसित व्यक्ति तरह-तरह की परेशानी से गुजरता है। दर्द, चलने-फिरने में कठिनाई, जोड़ों में अकड़न महसूस होना समेत दूसरी परेशानियां होती हैं। मरीज यह महसूस करता है कि वह पहले की तरह चीजों को पकड़ भी नहीं पा रहा है। जो मरीज वैकल्पिक उपचार की ओर जाते हैं। वे बीमारी को एक प्रकार से बढ़ावा देते हैं। समय पर सही इलाज जरूरी है।

इस मौके पर डॉ गर्ग ने सम्‍बोधित करते हुए बताया कि बीमारी के जल्द पता लगने से इसे न सिर्फ बढ़ने से रोका जा सकता है बल्कि इससे दुष्प्रभाव को भी कम किया जा सकता है। प्रत्यारोपण के बाद मरीज सामान्य जीवन भी जी सकता है। उन्होंने बताया कि आर्थराइटिस होने का मतलब यह नहीं है कि आप सामान्य जीवन व्यतीत नहीं कर सकते। प्रत्यारोपण सर्जरी से सामान्य जीवन सम्भव है क्योंकि उपचार माध्यमों में समय के साथ तरक्की भी हुई है, जिसका सीधा फायदा इसके मरीजों को मिलता है।

डॉ गर्ग ने बताया कि योग एवं जुम्बा का आयोजन विशेषज्ञ ट्रेनर की देख-रेख में किया गया जिन्होंने अपने निर्देशन में प्रतिभागियों को  ट्रेनिंग दी और उनके लाभ के बारे में बताया साथ ही प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिए। उन्‍होंने बताया कि हर साल 12 अक्टूबर को विश्व स्तर पर विश्व गठिया दिवस मनाया जाता है। यह दिन लोगों में गठिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है, आर्थराइटिस सूजन की ऐसी अवस्था है, जिसमे जोड़ों में दर्द और कठोरता का कारण बनती है। यह एक जॉइंट अथवा कई जोड़ों को प्रभावित कर सकती है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्‍यक्ष अक्षय त्रिपाठी थे। इसमें प्रमुख रूप से डॉ. संदीप कुमार गर्ग, डॉ. संदीप कपूर, डॉ. ए एम सिद्दीकी, डॉ. आनंद सागर पांडेय, डॉ. पुलकित सिंह, डॉ. के बी जैन, डॉ. राजेश अरोड़ा, डॉ. के के सिंह, डॉ. प्रमेश अग्रवाल, डॉ. हिमांशु कृष्णा, डॉ. दर्शना कपूर, रीतू गर्ग, डॉ. के पी चंद्रा, डॉ. नवनीत त्रिपाठी, डॉ. विनोद तिवारी, डॉ. अरुण पांडेय, नवनीत गौड़, इन्द्रसेन सिंह, जयदीप सोनकर, मो.अनस, अमित पांडेय, गोल्डी आनंद, दीपक सिंह व समस्त ए ऍफ़ ओ एल के सदस्यों के साथ ही विभिन्न साइक्लिंग ग्रुप जैसे सिक्लोपेडिया एवं शहर की विख्यात विंटेज कारधारकों के द्धारा इस कार्यक्रम में भाग लिया गया।

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