उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित विद्यालय महासभा ने 2020 में विधान परिषद लखनऊ खण्ड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से डॉ महेन्द्र नाथ राय को दिया समर्थन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित विद्यालय महासभा ने सरकार से मांग की है कि उनके विद्यालयों को भवनकर एवं जलकर से मुक्त किया जाये, साथ ही विद्यालय को विद्युत व्यय भार से भी मुक्त किया जाय, और अगर विद्युत व्यय भार से मुक्त करना सम्भव न हो तो सब्सिडी प्रदान की जाये। इसके अतिरिक्त महासभा ने आगामी वर्ष-2020 में विधान परिषद लखनऊ खण्ड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी के रूप में डॉ॰ महेन्द्र नाथ राय प्रधानाचार्य कालीचरण इण्टर कॉलेज को प्रस्ताव पास करके समर्थन की घोषणा की है।
मिली जानकारी के अनुसार राजधानी लखनऊ स्थित कालीचरण इण्टर कालेज में आज रविवार को स्ववित्त पोषित विद्यालय महासभा, उ॰प्र॰ की कार्यसमिति की बैठक महासभा के अध्यक्ष भवानी दत्त भट्ट की अनुपस्थिति में महासभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ओमप्रकाश शास्त्री की अध्यक्षता में एवं महासभा के महामंत्री पं॰ अशोक कुमार शर्मा के संचालन में समपन्न हुयी। बैठक में उ॰प्र॰मा॰ शिक्षक संघ लखनऊ के प्रदेशीय मंत्री/प्रवक्ता डा॰ महेन्द्र नाथ राय भी उपस्थित रहे।
बैठक में प्रदेशाध्यक्ष शिक्षक प्रकोष्ठ प्रबन्धक महासभा के प्रदेशाध्यक्ष जमील अहमद, लोकेश कुमार शर्मा, मुदाफरा, हापुड़ प्रधानाचार्य परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष नसीम अहमद, सरस्वती ज्ञान मंदिर के संस्थापक एवं कोषाध्यक्ष शिशुपाल शरद, प्रवेश चन्द्र मौर्य, हरि कृष्ण यादव, सतीश कुमार पाल, ब्रजेश शर्मा संगठन मंत्री, विजय नारायण सचान, राम सिंह यादव, आर॰ के॰ पाठक कोषाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता आदि उपस्थित रहे।
बैठक में महासभा द्वारा सर्वसम्मति से लिये गये निर्णय के तहत हरिकृष्ण यादव को स्ववित्त पोषित विद्यालय महासभा, उ॰प्र॰ का जिला अध्यक्ष मनोनीत किया गया।
इसके अलावा महासभा ने सरकार से अनुरोध किया है कि जनहित, राष्ट्रहित एवं समाजहित में संचालित हो रहे उ॰प्र॰ के मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों को भवनकर एवं जलकर से मुक्त रखा जाय। प्रदेश की सभी शिक्षण संस्थानों में जो उ॰ प्र॰ सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं, उन्हें विद्युत व्यय भार से भी मुक्त किया जाय अथवा सब्सिडी प्रदान किया जाय। इसके अलावा संस्थाओं की भूमि एवं भवन को व्यावसायिक उपयोग में तथा अवकाश के दिनों में व्यावसायिक उपयोग करने हेतु प्रबन्ध तंत्र को अधिकार प्रदान किया जाय, जिससे संस्थाओं को कुछ आय प्राप्त हो सके, और उस आय से संस्था की मरम्मत, सफाई, पुताई तथा अन्य व्यवस्था की जा सके।
सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि शिक्षक, शिक्षा एवं शिक्षण संस्थानों के उत्तरोत्तर विकास का प्रयास किया जाये तथा प्रबन्धक, प्रधानाचार्यो एव शिक्षकों का आपसी सम्पर्क एवं सहयोग की भावना को विकसित की जाय।

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