-जूनियर डॉक्टर्स, नर्सेज व पैरामेडिकल स्टाफ के लिए यूएसए प्रमाणित कोर्स का भारत में पहली बार आयोजन
-संजय गांधी पीजीआई में सम्पन्न ट्रॉमा इवैल्यूएशन एंड मैनेजमेंट कोर्स में 36 प्रतिभागियों ने लिया प्रशिक्षण

सेहत टाइम्स
लखनऊ। अमेरिकन कॉलेज ऑफ सर्जन्स, यूएसए द्वारा प्रमाणित भारत का पहला ट्रॉमा इवैल्यूएशन एंड मैनेजमेंट (TEAM) कोर्स 18 नवंबर को लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई में आयोजित किया गया। एक दिन का यह कोर्स मुख्यत: एमबीबीएस पास करने वाले नये चिकित्सकों के साथ ही नर्सिंग व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित करने के लिए तैयार किया गया है। इस कोर्स के तहत जीवन रक्षक कौशल और ट्रॉमा पीड़ितों की प्रारंभिक देखभाल का प्रशिक्षण दिया जाता है, एसजीपीजीआई में आयोजित कोर्स में 36 डॉक्टरों, नर्सों और तकनीशियनों के पहले बैच को प्रशिक्षण दिया गया।

यह जानकारी देते हुए कोर्स कोऑर्डिनेटर प्रो संदीप साहू ने बताया कि इस कोर्स का प्रशिक्षण यूएसए कोर्स डायरेक्टर प्रो मयूर नारायण, कोर्स कोऑर्डिनेटर प्रो संदीप साहू, यूएसए के प्रो अजय मल्होत्रा व प्रो देवाशीष अंजारिया, प्रो समीर मिश्र, प्रो मदन मिश्र, प्रो वेद प्रकाश ने दिया। प्रो संदीप साहू ने कहा कि इस कोर्स के संचालन के लिए मार्गदर्शन एटीएलएस इंडिया के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर एमसी मिश्रा से मिला, इसके लिए हम उनका आभार व्यक्त करते हैं।
प्रो संदीप साहू ने बताया कि नये नवेले डॉक्टरों के साथ ही नर्सेज, पैरामेडिकल स्टाफ के लिए इस कोर्स का उद्देश्य एक्सीडेंट में गंभीर घायल मरीज, जिसे बड़े अस्पतालों को भेजना आवश्यक है, ऐसे मरीजों को प्राथमिक उपचार के साथ ही बड़े अस्पताल में इलाज मिलने तक मरीज की स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए उठाये जाने वाले कदमों के बारे में प्रशिक्षण देना है। उन्होंने कहा कि एक्सीडेंट के शिकार व्यक्ति की जान को खतरा मुख्यत: तीन वजहोें से होता है, या तो हादसे की भीषणता इतनी होती है कि ऑन स्पॉट मरीज दम तोड़ देता है, दूसरा ज्यादा ब्लीडिंग होने के बाद शरीर में ऑक्सीजन की कमी से तथा तीसरा सांस के रास्ते में कोई बाधा आने के कारण जान चली जाती है। उन्होंने बताया कि ब्लीडिंग और सांस के रास्ते को अवरुद्ध न होने देने के लिए जो आवश्यक प्रक्रिया होनी चाहिये उसके बारे में अगर विशेष रूप से वेलनेस सेंटर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, छोटे अस्पतालों जैसे स्थानों पर तैनात लोगों को यह एक दिन का कोर्स सिखाया जायेगा तो यह एक अच्छी कारगर व्यवस्था साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि क्योंकि नये डॉक्टर, नर्सें व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ प्रशिक्षित रहेगा तो बड़े अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने तक मरीज की हालत को बिगड़ने से रोका जा सकेगा।

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