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आधुनिक टेक्निक्स का लाइव डेमो दिखाकर ज्ञान को सीधे अभ्यास से जोड़ने की कोशिश

-हेमेटोकॉन 2025 के प्रथम दिन दस कार्यशालाओं का किया गया आयोजन

सेहत टाइम्स

लखनऊ। Indian Society of Hematology & Blood Transfusion के 6 से 9 नवम्बर तक आयोजित हो रहे वार्षिक सम्मेलन हेमेटोकॉन 2025 की शुरुआत के प्रथम दिन चार स्थानों पर दस कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। इनमें किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में पांच कार्यशालाओं का, डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान और मेदांता अस्पताल में दो-दो तथा अपोलो हॉस्पिटल में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।

केजीएमयू में प्रथम कार्यशाला में रक्तस्राव विकार के निदान पर चर्चा की गई, विशेषज्ञ संकाय में डॉ. सुकेश चंद्र नायक, डॉ. रश्मि कुशवाहा और डॉ. दिनेश चंद्र शामिल थे, जिन्होंने लगभग बीस से पच्चीस छात्रों का मार्गदर्शन किया। दूसरी कार्यशाला फ्लो साइटोमेट्री पर थी जिसमें लगभग पच्चीस प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसका मार्गदर्शन डॉ. खलीकुर रहमान और डॉ. गीता यादव ने किया। तीसरी कार्यशाला में पूरे भारत से लगभग तीस प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसका संचालन डॉ. तेजेंदर सिंह और अन्य संकाय सदस्यों ने किया। डॉ. सुजाता राय चौधरी और पूरे भारत से अन्य संकाय सदस्य उपस्थित थे।

केजीएमयू में साइटोजेनेटिक्स विषय पर आधारित वर्कशॉप में देशभर के डॉक्टर, वैज्ञानिक, लैब एक्सपर्ट और युवा छात्र बड़ी उम्मीद और उत्साह के साथ जुड़े। वर्कशॉप की निगरानी डॉ. नीतू निगम (Centre for Advanced Research, KGMU) ने की।

डॉ नीतू निगम ने बताया कि पूरे दिन विशेषज्ञों ने “Innovations in Hematology: Diagnosis और Treatment का भविष्य” थीम के तहत Karyotyping और FISH जैसी आधुनिक cytogenetics टेक्निक्स पर बातें कीं, लाइव डेमो से सिखाया, और ज्ञान को सीधे अभ्यास से जोड़ने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि ACTREC टाटा मेमोरियल सेंटर मुंबई की डॉ. धनलक्ष्मी एल. शेठी, AFMC पुणे के Lt. Col. डॉ. बरुण कुमार चक्रवर्ती, डॉ. मयूर परिहार और कई अन्य जाने-माने विशेषज्ञों ने अपने प्रैक्टिकल अनुभव और लेटेस्ट रिसर्च शेयर किए।

फैकल्टी इंचार्ज सीएफएआर डॉ विमला वेंकटेश के मार्गदर्शन में आयोजित इस वर्कशॉप में प्रतिभागियों को अनुसंधान व प्रयोगात्मक कार्य की गहराई को समझने का अवसर मिला। उन्होंने बताया कि प्रतिभागियों ने सीखा कि कैसे एक सिंपल सैंपल लैब की जांच में जाने के बाद मरीज के जीवन के लिए उम्मीद बन सकता है—चाहे DNA डेनैचरेशन हो, माईक्रोस्कोप पर सिग्नल देखना या रिपोर्ट की बारीक व्याख्या। पैनल चर्चाओं, सवाल-जवाब और नेटवर्किंग ब्रेक्स ने सभी को खुलकर एक-दूसरे से सीखने व अपने डाउट्स क्लियर करने का मौका दिया।

Haematocon 2025 का यह मंच सिर्फ एक ट्रेनिंग वर्कशॉप नहीं, बल्कि एक उम्मीद है कि भारत में खून संबंधी बीमारियों के इलाज में नया युग अब बहुत दूर नहीं। देशभर के डॉक्टर, एक्सपर्ट, पोस्ट-ग्रेजुएट्स, रिसर्च स्टूडेंट्स और संस्थान अब हाथ में हाथ डालकर, विज्ञान को आम जनता तक पहुँचाने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे हैं।
कार्यक्रम की सफलता में आयोजकों, पार्टिसिपेंट्स और सहयोगी संस्थानों का जज़्बा और सहयोग तारीफ के काबिल रहा। ऐसी पहलें देश की स्वास्थ्य सेवाओं के भविष्य के लिए प्रेरणादायक हैं

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