-तनहाई में संवाद : KGMU के नवाचार (innovation & research) में CFAR की भूमिका
-CFAR के स्थापना दिवस पर विशेष
सेहत टाइम्स
लखनऊ। हर व्यक्ति का एक स्वाभाविक शौक होता है, किसी न किसी प्रकार की कला छिपी होती है, जुनून होता है, भले ही वह उसके व्यवसाय से मेल न खाये। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू में Centre for advance research CFAR के प्रो शैलेन्द्र कुमार सक्सेना का व्यवसाय शोध कार्य है। उनकी काबिलियत की बात करें तो डॉ शैलेन्द्र को कोरोना वायरस पर उनके शोध व असाधारण शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए दुनिया भर के शीर्ष 0.05% विद्वान वैज्ञानिकों की सूची में स्थान प्राप्त है, कुल 33 वैज्ञानिकों की इस सूची में डॉ शैलेन्द्र इकलौते भारतीय हैं। डॉ शैलेन्द्र कुमार को कविताएं लिखने का शौक है। जब कभी कवि मन जोश मारता है तो रचना गढ़ने में भी वे पीछे नहीं रहते हैं।
अपने विभाग CFAR के स्थापना दिवस पर डॉ शैलेन्द्र कुमार सक्सेना ने एक कविता रची है, इस रचना की खूबी यह है कि इसकी विषय वस्तु को उन्होंने अपने व्यवसाय से जोड़ा है। अमिताभ बच्चन द्वारा फिल्म सिलसिला में कहे गये मैं और मेरी तन्हाई…की तर्ज पर डॉ शैलेन्द्र ने अपनी रचना में कहा है…
मैं और मेरी तनहाई अक्सर गहन संवाद करते हैं,
तुम होती तो कैसा होता – तुम ये कहतीं, तुम वो कहती।
तुम हैरान होती कुछ पर, कुछ पर तुम्हारी हँसी छलकती,
हम CFAR (हमसफर) में बायोमेडिकल वैज्ञानिक, जीवन के रहस्यों को अनलॉक करते ।
मैं और मेरी तनहाई…
तुम कहती “RNA की गतिमान दुनिया अद्भुत है”,
मैं कहता “CRISPR जीन एडिटिंग में क्रांति ला रहा है”।
हम प्रयोगशाला में साथ चलते, विचारों का मेल होता,
रोगों से लड़ने नवाचार की राहें हम गढ़ते।
मैं और मेरी तनहाई…
तुम मुस्कराती स्टेम सेल्स की अपार क्षमता सुनकर,
मैं बताता इम्यूनोथेरेपी के नए आयाम, तुम करती आश्चर्य।
माइक्रोस्कोप में कोशिकाएँ नाचती दिखतीं,
बिग डेटा में पैटर्न ढूँढते, नए उपचार की उम्मीद जगती।
मैं और मेरी तनहाई…
तुम कहती “व्यक्तिगत चिकित्सा है भविष्य का मार्ग”,
मैं कहता “AI बायोमेडिसिन में खोल रहा नए द्वार”।
CFAR के स्थापना दिवस पर हम सब नवाचार को समर्पित,
मैं, मेरी तनहाई, और तुम – हम तीनों स्वास्थ्य के नए क्षितिज गढ़ते।
मैं और मेरी तनहाई…
©शैलेन्द्र_ShaanX


