-सांस्कृतिक गौरव संस्थान (अवध प्रांत) उत्तर प्रदेश ने मनाया अशोक सिंघल का जन्मदिवस
सेहत टाइम्स
लखनऊ। सांस्कृतिक गौरव संस्थान (अवध प्रांत) उत्तर प्रदेश द्वारा अशोक सिंघल का जन्मदिवस समारोह कालीचरण पी.जी. कॉलेज में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वांत रंजन की उपस्थिति रही। विशिष्ट अतिथि के रूप में सांस्कृतिक गौरव संस्थान के राष्ट्रीय महासचिव मेजर सुरेश गोयल सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं अशोक सिंघल के चित्र पर अतिथियों द्वारा माल्यार्पण से हुआ। सांस्कृतिक गौरव संस्थान के सचिव कृष्ण कुमार मिश्रा ने कहा कि जब अशोक सिंघल के आह्वान पर राम मंदिर आंदोलन प्रारंभ किया गया, तब उन्होंने स्पष्ट कहा था – “राम मंदिर निर्माण में 500 वर्ष बीत गए और मंदिर क्यों नहीं बन पाया? क्योंकि हम बंटे हुए थे। इसलिए हमें राम मंदिर आंदोलन को एकजुट होकर राष्ट्र आंदोलन बनाना होगा।”
विशिष्ट अतिथि मेजर सुरेश गोयल ने कहा कि अशोक सिंघल विराट व्यक्तित्व और दूरदृष्टि के धनी थे। सांस्कृतिक गौरव संस्थान की परिकल्पना और उसकी रूपरेखा का स्वप्न सिंघल जी ने ही देखा और साकार किया।
मुख्य अतिथि स्वांत रंजन ने कहा कि “सिंघल जी का नाम और राम मंदिर निर्माण एक-दूसरे के पर्याय हैं।” वर्ष 1952 में वे संघ के प्रचारक बने, उस समय परिस्थितियाँ अत्यंत कठिन थीं। 80 के दशक में दिल्ली में बड़े पैमाने पर मतांतरण हुआ, तब उन्होंने दिल्ली में विराट हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया जिसकी अध्यक्षता डॉ. कर्ण सिंह ने की। समाज में परिवर्तन तभी संभव है जब प्रत्येक व्यक्ति उसमें अपना योगदान दे – इसे सिंघल जी भली-भांति जानते थे। इसीलिए उन्होंने राम मंदिर आंदोलन को संपूर्ण भारत से जोड़ने के लिए गाँव-गाँव जाकर शिला पूजन, पादुका पूजन और रामज्योति दीपदान जैसे अभियान चलाए। स्वांत रंजन ने सिंघल जी और देवरहा बाबा के संस्मरण साझा करते हुए बताया कि जब सिंघल जी ने बाबा से प्रश्न किया – “बाबा, कइसे होई राम मंदिर निर्माण?” तब बाबा ने मचान से उत्तर दिया – “अशोक बच्चा आँधी चलावा आँधी, सब होई जाई।” उस समय पाँच-छह घंटे की आँधी में मचान का ढाँचा भी उड़ गया था। सिंघल जी कहा करते थे – “हमें राम मंदिर से राष्ट्र मंदिर बनाना है। हमें सतर्क रहकर भूमि जिहाद और लव जिहाद से राष्ट्र की रक्षा करनी है।”
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में किंग जॉर्ज चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सूर्यकान्त ने 1990 के कारसेवा आंदोलन को स्मरण करते हुए कहा कि गोलीकांड के बाद घायल कारसेवकों की सेवा करने का अवसर हमें अपने नौ जूनियर डॉक्टरों के साथ मिला। उस समय अशोक सिंघल का सान्निध्य मिलना हमारे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार था।
डॉ. सूर्यकान्त ने गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने तथा नगरों एवं मोहल्लों के नाम भारतीय संस्कृति के अनुरूप रखने की मांग की। उन्होंने जलालाबाद का नाम परशुराम पुरी रखने के लिए सांस्कृतिक गौरव संस्थान की ओर से सरकार को धन्यवाद दिया व उन्होंने प्रस्ताव रखा कि शाहजहाँपुर का नाम रामप्रसाद बिस्मिल या अशफाक उल्ला खाँ के नाम पर रखा जाए।
सांस्कृतिक गौरव संस्थान के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने सभी से भारतीय संस्कृति अपनाने का आग्रह किया और कहा – “बच्चे के जन्मदिवस पर पौधारोपण अवश्य कराएं और ‘हैप्पी बर्थडे’ के स्थान पर ‘शुभ जन्मदिनं तुभ्यम्’ कहें व भारतीय संस्कृति के गौरव की पुनर्स्थापना के लिए ‘सांस्कृतिक गौरव मित्र’ बनें।
कार्यक्रम में कालीचरण डिग्री कालेज के प्राचार्य चन्द्र मोहन उपाध्याय, प्रोफेसर विश्वनाथ मिश्रा, ओम प्रकाश पांडे, रवीश कुमार, हरि शरण मिश्रा, संतोष सिंह, सूर्यभान विश्वकर्मा, संतोष पटेल, शीला मिश्रा, रीना सिन्हा तथा मराठी समाज के उमेश पाटिल आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अरुण पाण्डेय ने किया।
कार्यक्रम में भारी संख्या में सांस्कृतिक गौरव संस्थान के पदाधिकारी, कार्यकर्ता एवं सदस्य उपस्थित रहें। साथ ही धन्वंतरि सेवा संस्थान, विक्रमादित्य सेवा संस्थान, जेबीएस फाउंडेशन उत्तर प्रदेश मराठी समाज आदि संस्थाओं के सदस्य भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम के गायन से हुआ।


